नालंदा में शिक्षा के प्रति एक पिता का अनोखा समर्पण देखने का मिला, जहां जुड़वा बेटों को पहली बार घोड़े पर बैठाकर स्कूल भेजा। बिहारशरीफ के कमरूद्दीनगंज निवासी अजीत कुमार, जो पेशे से इंजीनियर हैं और वर्तमान में गल्फ में कार्यरत हैं, ने अपने जुड़वा बेटों असीम और आनंद के स्कूल के पहले दिन को यादगार बना दिया। वर्ष 2021 में जन्मे इन दोनों बच्चों को उनके पिता ने घोड़े पर बैठाकर स्कूल भेजा, जिससे यह दृश्य देखने वाले सभी लोग प्रभावित हुए।
अजीत कुमार की हार्दिक इच्छा थी कि उनके बेटे अपनी शिक्षा की शुरुआत एक खास तरीके से करें। उनकी योजना थी कि वे अपने जुड़वा बेटों को हाथी पर बैठाकर स्कूल भेजें, लेकिन महावत की अनुपलब्धता के कारण उन्होंने घोड़ों का चयन किया। जब असीम और आनंद दुल्हन की तरह सजे-संवरे दो अलग-अलग घोड़ों पर सवार होकर स्कूल के लिए निकले, तो पूरे इलाके में यह चर्चा का विषय बन गया। आसपास के लोगों ने तालियां बजाकर इस अनोखी पहल की सराहना की और इसे एक प्रेरणादायक कदम बताया।

इस अनूठी पहल के पीछे अजीत कुमार का उद्देश्य केवल दिखावा नहीं था, बल्कि वे अपने बेटों में आत्मविश्वास और शिक्षा के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करना चाहते थे। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे जब बड़े हों, तो गर्व से कह सकें कि उनके पिता ने शिक्षा के महत्व को दर्शाने के लिए उन्हें घोड़े पर बैठाकर स्कूल भेजा था।मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बचपन में मिली खास यादें बच्चों के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ती हैं। इस तरह के प्रेरणादायक अनुभव न केवल बच्चों का आत्मबल बढ़ाते हैं, बल्कि उनके और माता-पिता के बीच एक मजबूत भावनात्मक जुड़ाव भी स्थापित करते हैं।