देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन कर्मयोगी के तहत सभी सरकारी कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मिशन कर्मयोगी के तहत क्षमता निर्माण आयोग, कर्मयोगी भारत और बिहार लोक प्रशासन और ग्रामीण विकास संस्थान (BIPARD) के बीच एक समझौता किया गया। समझौता का उद्देश्य राज्य में सरकारी अधिकारी और कर्मियों की क्षमता को सुदृढ़ किया जाना है ताकि राज्य में सभी लोक सेवक नियम के अनुसार अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकें। यह प्रशिक्षण कर्मयोगी के डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जा रहा है।
कर्मयोगी प्लेटफॉर्म के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अब तक 20 MDO का पंजीकरण किया जा चुका है जबकि कुल दो लाख बयालीस हजार तिरेपन कर्मियों को कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर ऑनबोर्ड किया गया है। अब तक 31 हजार 368 पाठ्यक्रम नामांकन दर्ज किया गया जबकि 23 हजार 724 पाठ्यक्रम पूर्णता और प्रमाण पत्र प्राप्ति रिपोर्ट की गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर यह माना जा रहा है कि राज्य के अधिकारियों की व्यावसायिक कौशल बढ़ रही है। इस प्रशिक्षण के तहत प्रशासनिक और शासन कौशल को ठीक करने के लिए कई अलग अलग पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
हिंदी भाषी राज्य होने की वजह से पाठ्यक्रम को हिन्दी में भी उपलब्ध कराया गया है। हिंदी में पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने की वजह से बिहार समेत कई राज्यों में इसका उपयोग सुगम हुआ है। यह समझौता राज्य के अधिकारियों के कौशल विकास के लिए क्षमता निर्माण आयोग, कर्मयोगी भारत और बिहार सरकार के बीच दीर्घकालिक साझेदारी की शुरुआत की प्रतीक है। इस शुरुआत से राज्य के सिविल सेवक लगातार सीखते रहेंगे और वे बेहतर ढंग से जनसेवा कर सकेंगे। मिशन कर्मयोगी पहल के तहत डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम सरकार की एक अधिक कुशल उत्तरदायी और कुशल कार्यबल को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता के साथ मेल खाते हैं जिससे भारत के नागरिकों को बेहतर शासन और सेवाओं की बेहतर डिलीवरी हो सके।