डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय के बखरी प्रखंड के गंगरहो स्कूल का पठन-पाठन आखिर क्यों हुआ बंद क्या राजनीति का भेंट चढ़ रहे गंगरहो विधालय का पठन-पाठन। ऐसे कई सवाल है जो आपके सामने खड़े हो रहे हैं अगर यही स्थिति रही तो आखिर बच्चों का कैसे होगा पठन पाठन। दरअसल गंगराहो स्थित कारि लाल सिंह प्राथमिक विद्यालय जाने वाले रास्ते को दबंगों के द्वारा बंद कर दिया गया है । हालांकि प्रशासनिक पदाधिकारी के द्वारा बताया जा रहा है कि जल्दी मामले को सुलझा लिया जाएगा।
बखरी प्रखंड के गंगरहो गांव स्थित कारी लाल सिंह प्राथमिक विद्यालय गंगरहो, बखरी के बच्चे कई दिन से विद्यालय नहीं पहुंच रहे। जिससे यहां पठन-पाठन पूरी तरह ठप रहा और शिक्षक उपस्थिति बनाने के बाद दिनभर विद्यालय में बैठे रहते हैं। दरअसल निजी जमीन से विद्यालय पहुंचने के वैकल्पिक रास्ते के बंद कर दिए जाने के कारण गांव की राजनीति का यह खेल सोमवार से ही वहां चल रहा है। इधर मंगलवार को विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अरविंद वर्मा ने एसडीएम को आवेदन देकर रास्ता खुलवाने की गुहार लगाई है।
आवेदन में कहा गया है कि सोमवार को गांव के जवाहर सिंह द्वारा बांस बल्ला लगाकर विद्यालय के रास्ते को अवरुद्ध कर दिया गया है। रास्ता अवरुद्ध होने से मंगलवार को एक भी बच्चे विद्यालय नहीं आए। जिससे विद्यालय का संचालन नहीं हो सका। ग्रामीणों की उपस्थिति में शिक्षकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की और दिनभर विद्यालय में रहे। प्रभारी प्रधानाध्यापक ने आवेदन में कहा है कि गांव से विद्यालय पहुंचने का यह एक मात्र सीधा रास्ता है। यह रास्ता गांव के जवाहर सिंह, आजाद महतो, सच्चिदानंद महतो, पुनीत महतो तथा मदन महतो की निजी जमीन से होकर गुजरता है। जवाहर सिंह के अतिरिक्त उक्त चारों लोगों को उस रास्ते से कोई आपत्ति नहीं है।
जबकि 2010 में विद्यालय की स्थापना के समय उनके पिता स्व. प्रभूनारायण सिंह ने जमीन के अन्य सभी मालिकों से मौखिक बात कर रास्ता खुलवाए थे। जिसके गवाह ग्रामीण हैं। तब से आज तक विद्यालय के छात्र छात्रा उसी रास्ते का उपयोग करते चले आ रहे हैं। विद्यालय और उसके छात्रों के हित में रास्ते का खुलना अति आवश्यक है। इधर पूछे जाने पर भूमि के मालिक पूर्व मुखिया व पूर्व जिप सदस्य जवाहर सिंह ने कहा कि वह उनकी पुश्तैनी निजी जमीन है। जो भाई के उपयोग में है। हो सकता है कि उन्हीं के द्वारा भूमि की घेराबंदी की गई होगी।
ऐसे भी जब तक जमीन उपयोग में नहीं थी और परती थी लोग आते जाते थे। अब उसे उपयोग में लाया जा रहा है तो राजनीति नहीं होनी चाहिए। विद्यालय आने जाने के लिए ईंट सोलिंग और कच्ची रास्त उपलब्ध है।
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