संयुक्त किसान मोर्चा का 26 नवम्बर को जिला मुख्यालयों पर देशव्यापी चेतावनी रैली

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संयुक्त किसान मोर्चा अपने माँगों को पुरा करने हेतु मोदी सरकार को तीन माह का देंगे अलटिमेटम 

डीएनबी भारत डेस्क

अपने मित्र कॉरपोरेट को भारी छूट और खाद सब्सिडी में भयानक कटौती से डीएपी का घोर अभाव,किसानों के बीच चारों ओर हाहाकार। 26 नवंबर 2024 को जिला मुख्यालयों पर देशव्यापी चेतावनी रैली द्वारा संयुक्त किसान मोर्चा अपने माँगों को पुरा करने हेतु मोदी सरकार को तीन माह का अलटिमेटम देंगे। 7 से 25 नवंबर तक पदयात्रा निकालकर जनसंपर्क में कम से कम हर जिले में 100 गांवों में घर-घर जाकर अपनी मांगों का पर्चा किसानों, मजदूरों और मेहनतकशों के बीच में बांटेंगे। अपने माँग को लोकप्रिय बनाएंगे और चेतावनी रैली में शामिल होने का उनसे आग्रह करेंगे।

किसानों की संस्था सहकारिता और बिस्कोमान को सुविचारित और सुनियोजित ढंग से बर्बाद करने की केंद्र और राज्य सरकार की नीति की घोर भर्तसना की गई।सभी जिलों में केंद्रीय ट्रेड यूनियन,खेत मजदूरों के संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठनों की अविलंब बैठक बुलाई जाय।संयुक्त किसान मोर्चा,बिहार से जुड़े 29 किसान संगठनों के 63 प्रतिनिधियों की मौजूदगी में आज स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम पटना में आयोजित बैठक की अध्यक्षता संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष डॉ प्रो आनंद किशोर ने की।

इस अवसर पर सर्वप्रथम चौसा किसान आंदोलन के नेता अशोक तिवारी की जघन्य हत्या पर रोष प्रकट करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने अपने प्रिय किसान नेता अशोक तिवारी तथा रोहतास जिला संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक राम भरत सिंह के आकस्मिक निधन के साथ अन्य किसान नेताओं की मृत्यु पर शोक प्रस्ताव पेश किया तथा 2 मिनट  खरा होकर मौन धारण कर अपने दिवंगत किसान नेताओं को श्रद्धांजलि दी।16 अक्टूबर 2024 को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी की बैठक में लिए गए फैसले की रिपोर्टिंग भारतीय किसान यूनियन टिकैत के बिहार प्रभारी दिनेश कुमार ने की।

दिल्ली के ऐतिहासिक किसान आंदोलन के सामने अपमानित होकर किसान विरोधी तीनों काले कानूनों को वापस लेने को मजबूर मोदी सरकार ने किसानों की खेती को बर्बाद करने के लिए खाद सब्सिडी में 87339 करोड रुपए की भारी कटौती के कारण आज बिहार में डीएपी किसानों को नहीं मिल रही है। मगर कालाबाजारी में उसकी कीमत आसमान छू रही है। किसानों से जमीन छीनने के लिए नीतीश सरकार द्वारा बिना तैयारी के भूमि सर्वे से किसानों में भारी आक्रोश है। पहले जमाबंदी ठीक करो, तब सर्वे शुरू हो, वर्ना किसान आर-पार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगे।

सभी फसलों का सी-2+ 50% के आधार पर एम एस पी तय कर खरीदने की कानूनी गारंटी, किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए किसानों की कर्ज मुक्ति,बिजली बिल विधेयक 2022 को वापस लो, प्रीपेड स्मार्ट मीटर तथा बिजली के निजीकरण पर रोक लगाओ,सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा कंपनियों द्वारा किसान हितैषी सभी फसलों एवं मवेशियों का बीमा, 60 साल की उम्र से सभी पुरुष एवं महिला किसानों तथा मजदूरों को 10000 रु मासिक पेंशन,दूग्ध उत्पादकों को प्रति लीटर दूध पर 10 रु सब्सिडी दो, मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाए तथा 600 रु दैनिक मजदूरी के साथ साल में 200 दिन काम की गारंटी हो, डिजिटल कृषि मिशन  के जरिए उर्वरक में बड़े पैमाने पर कटौती कर कृषि को कॉर्पोरेट के हाथ में सुपुर्द करने की केंद्र सरकार की साजिश का संयुक्त किसान मोर्चा घोर निंदा की तथा किसानों के बीच इसका भंडाफोड़ करने का फैसला लिया।

बिहार के सभी बंद चीनी,जूट एवं पेपर मिल को चालू करो, गन्ने का बकाया राशि किसानों को अविलंब भुगतान साथ ही बिहार सरकार की कैबिनेट द्वारा स्वीकृति रीगा चीनी मिल के किसानों के लिए आवंटित 53 करोड रु का अविलंब भुगतान तथा गान्ना पेराई से पहले गान्ना का मूल्य 600 रु प्रति क्विंटल निर्धारित करो, प्रति क्विंटल धान पर 1000 रु बोनस दो तथा खेती के लिए मुफ्त बिजली एवं ब्याज मुक्त ऋण दो, बाढ़-सूखा और जल जमाव का स्थाई निदान के साथ बाढ एवं वर्षा से तबाह फसलों का पर्याप्त मुआवजा दो तथा कृषि का निगमीकरण को बंद करो।

किसानों द्वारा चुनी गई बिस्कोमान के बोर्ड को भंग कर चेक से रिश्वत लेने वाले जमानत पर जेल से बाहर निकले महाभ्रष्ट कन्हैया प्रसाद को बिस्कोमान का प्रशासक नियुक्त किया गया है।जो किसानों की संस्था को लूट कर बर्बाद करने पर तुले हैं। बिस्कोमान चुनाव में धांधली करने के लिए पूरे सुबे से आ रही उनके कुकृतियों की सूचना आज आम चर्चा का विषय है। बिस्कोमान में वोटर होने के लिए समिति का निर्वाचित सदस्य होना अनिवार्य है।मगर चकाई व्यापार मंडल से विजय कुमार सिंह,लखीसराय व्यापार मंडल से विनोद कुमार सिंह और कांटी व्यापार मंडल से शयन कुणालर को फर्जी तरीके से प्रतिनिधि बनाया गया, जबकि तीनों उपरोक्त समिति के सदस्य भी नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा बिहार के सहकारिता प्रेमियों और किसानों को संगठित कर उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।

इस अवसर पर अग्रगामी किसान सभा के महासचिव अमेरिका महतो,ए आई के एफ बिहार के महासचिव भूप नारायण सिंह, एन ए पी एम के नेता आशीष रंजन, भारतीय किसान मजदूर विकास संगठन के महासचिव जनक देव सिंह उर्फ गांधीजी, किसान मजदूर नौजवान मोर्चा के अध्यक्ष कल्लू सिंह,जागता किसान मंच केअध्यक्ष नरेश यादव सहित किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के पशुपतिनाथ सिंह,भारत भूमि संघर्षशील  किसान यूनियन के नेता भोला यादव, प्रभावित किसान खेतिहर संघर्ष मोर्चा चौसा के रामप्रवेश  सिंह,अखिल भारतीय स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार मंच के बैजनाथ शर्मा, किसान मजदूर संघ बोधगया के रमेश सिंह,मजदूर किसान समिति के विष्णुधारी सुमन,किसान संघर्ष मोर्चा के डॉक्टर विनय सिंह,किसान महासंघ के कमलेश सिंह,

राष्ट्रीय किसान मजदूर विकास मंच के मनोज कुमार सिंह,स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम समिति के अशोक कुमार सिंह,सर्वोदय किसान संघ के टी उपेंद्र,कजरा किसान मजदूर संघर्ष समिति के डॉक्टर दिनकर सिंह,किसान संघर्ष समिति औरंगाबाद के विकास कुमार,प्रगतिशील किसान संघ के भूषण कुमार सहित किसान नेता उडयन राय,मिथिलेश कुमार शर्मा, शर्मा तिवारी,प्रमोद कुमार सिंह,बैजनाथ सिंह,विजय प्रसाद वर्मा, उमाशंकर सिंह पटेल,डॉक्टर मुन्ना ठाकुर,नाथू पंडित,राजदेव पटेल, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता आदि किसान नेताओं ने अपना विचार व्यक्त किया।किसान नेताओं के बीच अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी निर्धारित की गई।

डीएनबी भारत डेस्क

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