सिमरिया कल्पवास मेला में कवि सम्मेलन आयोजित, कवियों को किया गया सम्मानित

 

डीएनबी भारत डेस्क 

पावन कार्तिक मास सिमरिया धाम स्थित गंगा के तट पर एक माह तक चलने वाला राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया धाम में सोमवार की सांस्कृतिक संध्या के तृतीय सत्र का आयोजन किया गया। तृतीय सत्र में राष्ट्रीय नवसर्जना साहित्य परिषद बेगूसराय संस्था ने कवि सम्मेलन में एक से बढ़कर एक कविता, ग़ज़ल की प्रस्तुति देकर दर्शकों को आत्मविभोर कर दिया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ जिला कला, संस्कृति पदाधिकारी श्याम कुमार सहनी ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में प्रभा कुमारी ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की फिर गर नारी नहीं होती तो संसार नहीं होता, संसार गर होता तो वो गुलज़ार नहीं होता। रसोई की बरतने आपस में बात करती, आपस में बात करते करते झगड़ पड़े। जिगर ए जान क्या है तुझ पर हम लुटा देंगे आदि की प्रस्तुति दी ।

शगुफ़्ता ताजवर द्वारा-कोहरा धुंध और अंधेरे रास्ते पर भागती लड़की। राणा कुमार सिंह द्वारा-जहां पर कल-कल की धारा बहती और अंगिका कविता प्रस्तुति-कनियन के मैडम कहबो हाथ में आयतो कहियों नय। मैं तेरा दीवाना हूं तू मेरी दीवानी है मैं तेरा कन्हैया हूं तू मेरी राधा रानी है। करो नमन नित्य ये परम पुण्य धाम है। शान से बोलो बेगूसराय इसी का नाम है। अभिलाष-हम दिनकर के वंशज है। वहीं प्रकाश कुमार ना भगवा मेरा है ना हरा तेरा है ये भारत का आंचल है।कुछ रंग तेरा है कुछ मेरा है। मैं ख़ुद ही मिटने को आतुर था। चार मिसरा एक शेर अदा करता हूं फिर तेरे लिये ज़ख़्म हरा करता हूं।

आवारा समस्तीपुरिया ने मैथिली कविता की प्रस्तुति मिथिला पुत्र कहावे छी, सुंदरम् सावंत ने कवि हूं कविता लिखता हूं। इसके साथ शेखर सावंत, अजीत झा संजीत, मनीष मोहक, अभिलाष मिश्रा की कविताओं से दर्शकों का मन मोह लिया। जिला प्रशासन की ओर से जिला कला, संस्कृति पदाधिकारी श्याम कुमार सहनी ने सभी कलाकारों को अंग वस्त्र और कल्पवास मेला का स्मृति चिन्ह भेंट देकर मंच पर सम्मानित किया।

बरौनी, बेगूसराय से धर्मवीर कुमार

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