सिमरिया के माटी के लाल लोकगायक बलराम कुंवर की 98 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

 

बलराम कुंवर सिमरिया के सांस्कृतिक इतिहास में आधार स्तंभ की तरह हैं। वह गांव में बराबर अपने लोकगीत की प्रस्तुति देते रहते थे।

डीएनबी भारत डेस्क

सिमरिया की माटी के लाल लोकगायक बलराम कुंवर की 98वीं जयंती मंगलवार संध्या को दिनकर पुस्तकालय, सिमरिया के तत्वावधान में मनाई गई। इस अवसर पर भगवतीस्थान धर्मशाला, सिमरिया में गीत-संगीत संध्या का आयोजन किया गया। आयोजन के शुरुआत में बलराम कुंवर के चित्र पर पुष्पांजलि के पश्चात पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने कहा कि पुस्तकालय क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक विरासत को संजोने में लगा हुआ है।

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इसी क्रम में विभिन्न रेडियो स्टेशनों में अपने लोकगीत को प्रस्तुत करने वाले बलराम कुंवर को याद किया जा रहा है। ग्रामीण बुद्धिजीवी राधारमण राय ने उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बलराम कुंवर सिमरिया के सांस्कृतिक इतिहास में आधार स्तंभ की तरह हैं। वह गांव में बराबर अपने लोकगीत की प्रस्तुति देते रहते थे। उन्होंने नौकरी करते हुए भी अपनी संगीत साधना को नहीं छोड़ा था। इस अवसर पर राजेंद्र राय नेताजी और नाट्य निर्देशक विश्वनाथ पोद्दार ने भी अपना संस्मरण सुनाया।

लोक गायक बलराम कुंवर की जयंती पर आयोजित गीत-संगीत संध्या में गायक आनंद कुमार और बलिराम बिहारी ने उनकी रचना मोहे सूनी रे मड़ैया से डर लागे और कोयली के बचवा सितुलिया के दुगो जामुन गिराओ सुनाया तो श्रोता देर तक तालियां बजाते रहे। नाल पर इनका साथ संतोष कुमार दे रहे थे। इस अवसर पर टिंकू झा, लक्ष्मणदेव कुमार, विनोद बिहारी, अमर कुमार मुरारी, रंजीत पोद्दार, राजकुमार राय, राजू बिहारी, गौतम कुमार, जनार्दन राय आदि ने भी विभिन्न गीत सुनकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कार्यक्रम का संचालन संजीव फिरोज और धन्यवाद ज्ञापन ललन कुमार सिंह ने किया।

मौके पर बद्री प्रसाद राय, विजय कुमार चौधरी, बलराम कुंवर के पौत्र कृष्ण मुरारी, मुकेश कुंवर, रामनाथ सिंह, मनीष कुमार, अमरदीप सुमन, जितेंद्र झा, प्रदीप कुमार, मंटून ठाकुर, गुलशन कुमार, सुनील कुमार सिंह, नंदकिशोर सिंह, राधे कुमार, कौशल सिंह, कुंदन झा, अजीत कुमार, ए के मनीष सहित सैकड़ो ग्रामीण उपस्थित थे।

डीएनबी भारत डेस्क

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