एसडीओ तेघड़ा न्यायालय ने दो मामलों में माता पिता की देख रेख के लिए पुत्र पर लगाया आर्थिक जुर्माना

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एसडीओ तेघड़ा राकेश कुमार ने कहा वृद्ध माता पिता का आजीवन करना है देखभाल, ऐसा नहीं करने की स्थिति में सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं।

डीएनबी भारत डेस्क 

अक्सर देखा जाता है कि जिस बच्चे के उज्जवल सुखी संपन्न भविष्य लिए माता पिता अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं। वही बच्चे बड़े होकर माता पिता सेवाभाव को भूलकर उनसे पिछा छुड़ाना चाहते हैं। खासकर ऐसी घटनाओं में देखा जाता है कि या तो बच्चे बाहर नौकरी करते हैं और अपनी पत्नी बच्चों को ही परिवार समझते हैं। माता पिता को तो भूल ही जाते हैं। हलांकि सारे लोग ऐसे नहीं है लेकिन कुछ लोगों के ऐसे करतूत ने पूरी परिभाषा ही बदल दी है।

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कुछ घटनाओं में पत्नी के दबाब के कारण बेटे को मजबूरन माता पिता के सेवाभाव से विमुख होना पड़ता है। यही कारण है कि देश में वृद्वाश्रम खोले गए और ऐसे बच्चे, बहु से प्रताड़ित लोग यहां शरण लेते हैं। लेकिन इससे उनकी दुख घटती नहीं है। तभी ऐसी घटनाओं का बढ़ता क्रम को देखते हुए न्यायलय ने दखल दिया और सख्त कानून बनाए उस कानून में वृद्ध माता पिता को जीने के अधिकार की हिम्मत दी।

ऐसा ही ऐतिहासिक फैसला शुक्रवार को तेघड़ा एसडीओ न्यायालय के जज एसडीओ राकेश कुमार ने दिया। जिसमें दो पुत्र को अलग अलग मामलों में पहले नोटिस दिया गया और फिर न्यायलय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया। दोनों ही मामलों में भरण पोषण अधिनियम 2007 की धारा 5 के अंतर्गत भगवानपुर थाना अंतर्गत दो अलग-अलग मामलों में भरण पोषण के बाद माता-पिता को देख-रेख करने के लिए पुत्रों पर लगाया गया आर्थिक जुर्माना।

वहीं इस संबंध एसडीओ राकेश कुमार ने बताया की ऐसे मामले में आजीवन देखभाल के आर्थिक जुर्माना का प्रवाधान है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में सख्त कार्रवाई के निर्देश हैं। साथ ही उन्होंने कहा सरकारी नौकरी वाला बेटा या बहु पर आर्थिक जुर्माना के बाद खाता से रूपया ट्रांसफर के नियम हैं। माता पिता, सास ससुर की सेवा बेटा बहु का कर्म है। ऐसा नहीं करने वालों पर कानूनी सख्त कार्रवाई के प्रावधान हैं।

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