डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/सिमरिया-संसार में दो ही प्रकार के लोग सुखी हैं या तो अत्यंत मूढ़ नहीं तो अत्यधिक बुद्धिमान जो भगवान को प्राप्त कर चुके हैं । उक्त बातें मंगलवार को सिमरिया धाम स्थित कालीधाम सिद्धाश्रम में ज्ञान मंच से कल्पवास एवं भागवत महात्म्य की कथा कहते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा।

उन्होंने बताया कि कहा गया है कि शेष आचरण के अनुसार स्वभाव वर्णाश्रम का विभाग ऋषियों के जन्म कर्म आदि वेदों का विभाग यज्ञों के विस्तार योग का मार्ग ज्ञान मार्ग और उसका साधना सांख्यमार्ग तथा भगवान के कहे हुए नारद पांच रात्र आदि तंत्र शास्त्र विभिन्न पाखंड मार्गो से होने वाली विषमता नीच लोग कभी भी सनातन के बारे में नहीं जान सकते। सभी धर्म और कर्म की सिद्धि तभी प्राप्त होती है जब सेवा भावी होते हैं सेवा किए बिना कोई भी धर्म सिद्ध नहीं होता इसलिए हमें सबसे पहले सेवा ही करनी चाहिए। वहीं मंच से हार्मोनियम पर संगत कर रहे लक्ष्मण झा ने भागवत कथा कहते हुए कहा कि आत्मा सबका स्वामी है सर्वथा मुक्ति स्वरूप है।
वही दीनता और बंधन को प्राप्त करता है, यह बात युक्ति विरुद्ध है लेकिन वस्तुत: यही तो भगवान की माया है। आगे कथा में लक्ष्मण झा ने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ कल में ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम संकल्प सृष्टि के द्वारा चार कुमारों को सप्त ऋषियों को और चार वर्णों को बाद में मिथुन सृष्टि हेतु अपने दाएं अंग से मनु और बाएं अंग से शतरूपा की सृष्टि किया संकल्प सृष्टि के द्वारा ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण की उत्पत्ति हुई उक्त ब्रह्म ऋषि के दो पुत्र हुए एक का नाम गौड़ और दूसरे का नाम द्रविड़ । उन्होंने कहा कि अभी भी आप देखिएगा इन दोनों का विंध्याचल पर्वत के क्रमशः दक्षिण व उत्तर का भूभाग इन्हीं के नाम से विख्यात है।
मौके पर व्यवस्थापक रविन्द्र ब्रह्मचारी ,मीडिया प्रभारी नीलमणि, सनातन , श्याम झा, राम झा, लक्ष्मण झा, पीतांबर झा,रतिकांत कुंवर, ताराकांत कुंवर,सोहन सहनी, बृजभूषण चौधरी, मोहन झा,विद्यानंद कुंवर,नंदकिशोर पोद्दार एवं सुरेश झा साहित अन्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट