ईश्वर सच्चे भक्त के हृदय में विराजते हैं -स्वामी चिदात्मन जी महाराज

DNB Bharat Desk

बेगूसराय/सिमरिया-ईश्वर सच्चे भक्त के हृदय में विराजते हैं । भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए अपने शक्ति के अनुसार चंद्रायण व्रत करना चाहिए। आप भगवान को जिस मन से जहां खोजेंगे वहां आपको अवश्य मिलेंगे । ना ही वह बैकुंठ में रहते हैं। वह हम सबके नजर से बच सकते हैं । ईश्वर के नजर से आज तक कोई नहीं बच सका है और न बच सकता है हमारे भगवान कन-कन में विराजमान हैं ।

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सतयुग में सब के सब प्राणी दान, जप, तपस्या यज्ञ में ही लीन रहा करते थे । आज कार्तिक वृति को सदैव ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करना चाहिए। कहा गया है कि धर्म के चार चरण होते हैं सत्य, शौच, दया और दान । कहा गया है कि जो सती नारी है वह पति के सिवा किसी को किसी भी पराए मर्द को पुरुष मानती ही नहीं ।अपने पति को छोड़कर उसके हृदय में किसी का वास रहता ही नहीं है ।

ईश्वर सच्चे भक्त के हृदय में विराजते हैं -स्वामी चिदात्मन जी महाराज 2वह अपने से उम्र में बड़े पुरुष को पिता के समान और अपने बराबर पुरुष को भाई के समान और अपने से उम्र में छोटे को पुत्र के समान समझती है। मौके पर रविंद्र ब्रह्मचारी, मीडिया प्रभारी नीलमणि ,अरविंद चौधरी ,लक्ष्मण झा, आनंद झा, राम झा ,अमित कुमार, पवन कुमार, रितु देवी, पूनम देवी, चंद्रभानु देवी, सुनीता देवी ,देवेश मिश्रा ,राधेश्याम चौधरी एवं दिनेश झा साहित सैकड़ों श्रोता भगवान उपस्थित रहे।

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