विश्व का कल्याण हेतु भगवान कृपा की वर्षा करते हैं, भागवत भाग्यवान को ही प्राप्त होते हैं -स्वामी चिदात्मन जी महाराज।
कार्तिक माह भारतीय संस्कृति में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है- डॉ धनाकर ठाकुर

डीएनबी भारत डेस्क
श्रीमद् भागवत पुराण में नारद जी द्वारा कहा गया है की ज्ञान और वैराग्य से मुक्ति प्राप्ति हेतु भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। जिससे धर्म अर्थ काम मोक्ष की प्राप्ति होती है जो भी श्रोता श्रद्धालु जिस मनोभाव से इनके शरण में आते हैं उनके सभी प्रकार पाप नष्ट हो जाते हैं और कल्याण की प्राप्ति होती है।उक्त सारगर्भित अमृतमयीवाणी पुनीत कार्तिक कल्पवास के शुभ अवसर पर सर्वमंगला सिद्धाश्रम के परिसर में कार्तिक महात्म एवं श्रीमद् भागवत कथा कहते हुए
व्यास पीठ पर विराजमान पंडित लक्ष्मण झा ने कहा
वहीं भागवत कथा का शुभारंभ करते हुए सर्वमंगला सिद्धाश्रम के अधिष्ठाता प्रातः स्मरणीय पूज्य गुरूदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि भक्ति भाव से परी पूर्ण कार्तिक माह अनूठा और अनमोल है। इसमें सभी सनातनी प्राणी अपने संपूर्ण परिवार समाज और राष्ट्र के सुख समृद्धि और संस्कारी जीवन के लिए एक माह का कल्पवास गंगा तट पर संकल्पित होकर करते हैं। और कल्पवास में गंगा सेवन, गंगा तट पूजन, गंगा महाआरती, तुलसी आरती, तप, योग, ध्यान , सत्यकर्म पर्व , त्योहार और दान करते हैं। इसी माह में भगवान विष्णु चातुर्मास विश्राम के बाद जागते हैं। विश्व का कल्याण हेतु भगवान कृपा की वर्षा करते हैं। भागवत भाग्यवान को ही प्राप्त होते हैं ।
वहीं व्यास मंच से विशिष्ट अतिथि डॉ धनाकर ठाकुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि गंगा सेवन का अवसर प्राप्त करने और अपने जीवन को धन्य बनाने यह मास सर्वोत्तम है कार्तिक माह भारतीय संस्कृति में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है हम सभी सनातनी एह लोक से परलोक के लिए संकल्पित होकर पूजा पाठ पर्व त्यौहार दान धर्म का पालन करते हैं । वहीं कार्तिक कल्पवास के शुभ अवसर पर प्रथम दिवस में पधारे हुए बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा संस्था द्वारा संचालित सर्वमंगला आध्यात्मिक विद्यापीठ संस्कृत विद्यालय का निरीक्षण करते हुए अति प्रसन्नता जाहिर की और कहा यह विद्यालय आज के लिए प्रासंगिक है और भारतीय संस्कार संस्कृति और संस्कृति को संरक्षित करने में अपना बहुमूल्य योगदान देता आ रहा बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड मंगल मय भविष्य की कामना करता है और साथ ही साथ सतत सहयोग प्रदान करता रहेगा।
उनके साथ संस्कृत बोर्ड के सदस्य चंद्र किशोर कुंवर अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि यह संस्था उत्तर बिहार का संपूर्ण शैक्षणिक केंद्र है यहां पर धार्मिक आध्यात्मिक और संस्कृत शिक्षा का त्रिवेणी स्थल है इस स्थल पर बोर्ड की विशेष कृपा दृष्टि रहनी चाहिए ताकि संस्कृत और संस्कृति का विकास हो सके। इस अवसर पर संस्था के व्यवस्थापक रविंद्र ब्रह्मचारी, प्रो प्रवीण कुमार प्रेम, डॉक्टर विजय कुमार झा ,मीडिया प्रभारी नीलमणि ,राधेश्याम चौधरी ,अरविंद चौधरी, सदानंद झा, श्याम झा,राम झा एवं सुनील भारद्वाज सहित सैकड़ों श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट