स्वरोजगार से स्थापित किया अपना साम्राज्य, यूको बैंक ने ऋण दिया तो कारोबार को लगे पंख

DNB BHARAT DESK

 बेगूसराय/खोदावंदपुर-दूसरों के खेत में मजदूरी करने वाला और रोजी रोजगार के लिए पलायन करने वाला कामगार आज यूको बैंक से ऋण प्राप्त कर अपना कारोबार खरा कर प्रत्येक वर्ष लाखों में कमाई कर रहा है। रामकुमार की प्रेरणा और सहयोग से दूसरे दर्जनों कामगार भी इससे जुड़कर रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बनकर गरीबी को चुनौती दे रहे हैं ।जी हां यही सच्चाई है। हम बात करते हैं खोदावंदपुर प्रखंड के मेघौल पंचायत अंतर्गत मलमल्ला निवासी रामकुमार दास का। आईए सुनते हैं उनके दर्द भरी कहानी उन्हीं के जुबानी। मनोज बताते हैं जब हमारी उम्र 10 12 साल की थी तो हम दूसरे के खेतों में मजदूरी कर अपना पेट पालते थे ।जब होश संभाला तो शुरुआत में वीड़ी बनाकर बेचना शुरू किया।

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उससे भी पेट नहीं भरा तो रोजी रोजगार के लिए बनारस चला गया ।कुछ दिनों तक बनारस में मजदूरी करने के बाद गांव में ही बेकरी का व्यवसाय शुरू किया। परोस के ही नारायण दास हमारे पार्टनर थे ।हम दोनो मिलकर यह व्यवसाय करते थे । साइकिल पर गांव-गांव बिस्किट बेचकर रोजी रोजगार चलाते थे। वर्ष 18 में पार्टनर से अलग होकर यूको बैंक खोदाबंदपुर से 5 लाख का सीसी ऋण लेकर हमने अपना व्यवसाय किराना दुकान का शुरू किया। खुदाबांदपुर बाजार में भाड़े के मकान में हमारा यह दुकान चला था। बाजार से सामान खरीद कर लाते थे और खुदरा व्यापार करते थे। व्यापार हमारा चल गया।

स्वरोजगार से स्थापित किया अपना साम्राज्य, यूको बैंक ने ऋण दिया तो कारोबार को लगे पंख 2अब बाजार में हमें इतना जान पहचान हो गया था की थोक विक्रेता हमें क्रेडिट पर सामान देने लगा। हम भी उस समान को बेचकर ससमय उनके उधर को चुकता कर देता था। जिससे बाजार में हमारा साख स्थापित हो गया। बाजार के थोक विक्रेताओं ने हमें प्रेरित किया और सपोर्ट किया। कहा आप खोदाबंदपुर में खुदरा व्यापार के साथ-साथ होलसेल कारोबार करो हम लोग मदद करेंगे ।आज खोदाबंदपुर बाजार में अपना एक किरिण का बड़ा सा दुकान है ।इस दुकान से हम खुदरा व्यापार करते हैं साथ ही साथ आसपास के गांव में छोटे-छोटे दुकानदार को थोक भाव में सामान की आपूर्ति करते हैं । इस व्यवसाय से एक से डेढ़ लाख  प्रति माह मुनाफा कमा लेते हैं। दूसरों को रोजगार देकर खत्म किया गरीबी।

रामकुमार बताते हैं कि आज हमारे प्रतिष्ठान में आधा गर्जन युवक स्थाई तौर पर प्रतिदिन काम करते हैं। जिनको एक निश्चित माहवारी रकम हम बतौर वेतन देते हैं। इतना ही नहीं खोदाबंदपुर और  आसपास के दो दर्जन से अधिक गांव में छोटे-छोटे दुकानदार हमसे जुड़े हुए हैं ।जिन्हें हम नगद और क्रेडिट पर भी सामानों की आपूर्ति करते हैं। सामान बेचकर वह हमें उधार चुकता करते हैं और अपना रोजी रोजगार भी चलाते हैं। इस प्रकार जो हम दूसरे के यहां रोजगार करते थे आज  दर्जनों लोगों को रोजगार दे रहे हैं ।जो गरीबी उन्मूलन की दिशा में एक कारगर कदम है । आज लोग गरीब नहीं काहिल हैं।

खोदाबंदपुर बाजार के किराना दुकानदार रामकुमार दास का मानना है आज कोई गरीब नहीं है। गरीब वह है जो काम करना नहीं चाहता है काहिल है। जो लोग काम करना चाहते हैं उनको काम भी मिलता है। रोजगार करना चाहते हैं स्वरोजगार भी मिलता है। जरूरत है सिर्फ जज्बे का संकल्प का। ईमानदारी पूर्वक संकल्प के साथ किसी भी काम को किया जाए वह लभकार साबित होता है । ऐसा करने वाला नौजवानों से गरीबी दूर खड़ा रहता है।

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