सिमरिया घाट पर 700 एकड़ भूमि अधिग्रहण को लेकर किसान है आक्रोशित
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/बीहट-शुक्रवार को आक्रोशित किसानों ने मल्हीपुर काली स्थान परिसर में बैठक आयोजित किया गया। बैठक में चकिया, मल्हीपुर, विष्णुपुर, बीहट, कसहा एवं बरियाही सहित आसपास के गांव के सैकड़ों किसान शामिल हुए। किसानों का कहना है कि उक्त खेसरा नंबर 890 एवं 891 में 1931 बीघा जमीन है। इस जमीन की जमाबंदी सरकार ने निरस्त कर दिया है। हम लोगों को बंदोबस्ती से 1932 में यह जमीन हासिल हुई थी। हमारे पूर्वज इस पर खेती करते आ रहे हैं। जमीन का कागज हमारे पास है।
इसका राजस्व लगान रसीद हम लोग कटवाते आ रहे हैं। अब राजस्व विभाग की वेबसाइट से इस जमीन का डिटेल हटा दिया गया है। 25 नवम्बर से जमाबंदी रद्द कर दी गई है। पहले भी इस जमीन का मामला कोर्ट में गया था, तो कोर्ट ने किसानों के पक्ष में निर्णय दिया। बरौनी थर्मल पावर के पुराने एवं नए प्रोजेक्ट में भी इसी खेसरा से जमीन लिया गया और जिसका मुआवजा अभी किसानों को दिया गया। फिलहाल हाई कोर्ट के निर्देशानुसार बेगूसराय न्यायालय में टाइटल सूट चल रहा है।
इसके बावजूद बिहार सरकार जमाबंदी रद्द कर रहा है। बाध्य होकर हम सभी किसान अब आंदोलन पर उतारू हो गए हैं। बैठक में उपस्थित शशि भूषण सिंह, रामाशीष सिंह, सुधीर सिंह, रजनीश पटेल, मुकेश राय, जापान राय, बीहट नगर परिषद के उपमुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार, शशि भूषण यादव, रंजीत यादव सहित सभी किसानों ने कहा है जान दे देंगे, जमीन नहीं देंगे। हम लोगों ने धरना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। जान दे देंगे, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे। अगर जिला प्रशासन द्वारा जबरदस्ती होगा तो इसी जमीन पर मर जाएंगे। जब जमीन ही नहीं रहेगा तो जिंदा रहकर क्या करेंगे, क्या खाएंगे।
सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है। हमारी जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र बनाने का निर्णय ले लिया गया। 3 दिन पहले डीएम साहब आए और अधिकारी को चिन्हित करने का भी निर्देश दे दिया गया। यह कहीं से भी उचित नहीं है। नप बीहट के उपमुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार ने कहा कि सरकार का काम है जिसके पास जमीन नहीं है, उसको भी जमीन सरकार उपलब्ध करवाती है। प्रत्येक लोगों को जीने का अधिकार है। लेकिन यहां किसानों की जमीन सरकार जबरदस्ती लेना चाहती है, यह नहीं होगा। हम लोग संवैधानिक तरीके से सरकार का विरोध करेंगे। जरुरत पड़ी तो जिला प्रशासन का घेराव करेंगे।
हम सब सरकार से कानूनी प्रक्रिया से लड़ेंगे। हमारी जमीन सरकार नहीं ले सकती है। हम अपना जमीन अपने हाथ में लगेंगे और जीतेंगे। यह जमीन 1932 से हम लोगों के पूर्वज ने बंदोबस्त द्वारा प्राप्त किया गया। उस समय से लेकर आज तक हम लोग उस जमीन पर जोत करके अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। उस जमीन का राजस्व देते हैं, पेपर भी है। जमींदारी उन्मूलन हुआ था उस समय से पहले से हम लोगों का दखल कब्जा है। उस समय से लेकर आज तक हम कंटिन्यू हैं। सरकार उस जमीन को सरकारी जमीन करना चाहती है। सभी किसान मर जाएंगे, लेकिन अपनी जमीन को छोड़ नहीं सकते हैं।
हम लोगों के बाबा, परबाबा सब इसी जमीन से जिए। 1932 से इसी जमीन से जीते आ रहे हैं। 3 दिन पहले नोटिस आया है कि 890 एवं 891 खेसरा नंबर मल्हीपुर मौजे की जमीन आपकी नहीं है। यह जमीन सरकार का है, जबकि कोर्ट में केश चल रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन ने तुगलकी फरमान जारी कर दिया है कि यह जमीन आपकी नहीं। सरकार ने इस जमीन पर काम करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दिया है। हम लोग आंदोलन करेंगे, मर मिटेंगे, हमारी जमीन चली जाएगी तो जिंदा रहकर क्या करेंगे, इसी जमीन पर जाकर मर जाएंगे।
राजकुमार महतो, गोरेलाल महतो, मेघु महतो, प्रमोद निषाद, सोहन महतो, गोविंद कुमार, पंकज कुमार एवं भागवत बिंद आदि ने कहा कि सीओ द्वारा आपत्ति करने की तिथि 2 दिसम्बर तय की गई है। लेकिन हम लोग जब अपना-अपना कागजात लेकर बरौनी सीओ के कार्यालय में गए तो वहां हमारे द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाला कागज लेने से इनकार कर दिया गया। जिसके कारण डाक से भेजा गया है, यहां बड़ी साजिश रची गई है। वहीं जिला प्रशासन द्वारा जहां 700 सौ एकड़ भूमि की मापी बरौनी अंचल द्वारा कराया गया है।
जिसके बाद मल्हीपुर मौजा के थाना नंबर-503, खाता 261 तथा खेसरा 890 एवं 891 को गैर मजरुआ खास भूमि घोषित करते हुए भूमि चिन्हित किए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। 700 एकड़ जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विस्तार के लिए चिन्हित किए जाने के बाद बरौनी सीओ द्वारा 2 दिसम्बर तक आपत्ति जमा करने की सूचना निकल गई है। वहीं सिमरिया धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही सिमरिया धाम के पास 700 एकड़ उपजाऊ भूमि को जिला प्रशासन द्वारा औधोगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इससे किसानों में काफी आक्रोश है।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट