जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है – साध्वी जी

DNB Bharat Desk

बेगूसराय नगर परिषद अंतर्गत तेघरा के रसोई महल मे आयोजित श्री राम कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय नगर परिषद अंतर्गत रसोई महल परिणय गार्डन के परिसर में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के द्वितीय दिवस सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य और शिष्याओं ने कहा कि श्री रामचरितमानस की गाथा त्याग और समर्पण की गाथा है श्री रामचरितमानस की हर घटना हर पात्र एक इशारा एक संकेत करता है

जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है - साध्वी जी 2साध्वी जी ने कहा इस इस जीवन में सीता आत्मा है और श्री राम परमात्मा है हर स्त्री पुरुष का शरीर लंका है और जीव आत्मा इस शरीर रूपी लंका में कैद है और वह सदा श्री राम रूपी परमात्मा से मिलना चाहती है लेकिन मन रूपी रावण मिलने नहीं देता। सीता रूपी जीवात्मा जब व्याकुल होती है तब हनुमान जैसे संत मिलते हैं जो ब्रह्म ज्ञान रूपी मुद्रिका देते हैं जिसे पाते ही सब भ्रम नष्ट होता है और सीता रूपी आत्मा का श्री राम रुपी परमात्मा से मिलन होता है,

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जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है - साध्वी जी 3बूंद और सागर की भांति ,हंस और परमहंस की भांति। जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है

जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है - साध्वी जी 4 इसलिए मनुष्य जीवन में हनुमान जैसा संत चाहिए क्योंकि रामचरितमानस कहती है। संत मिलन सम सुख जग नाही। वास्तविक सुख केवल संतों की शरण में है संत हमें ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर अवागमन के चक्र से मुक्त करते हैं संत हमें वह सनातन ज्ञान प्रदान करते हैं

जिस प्रकार सीता रूपी आत्मा श्री राम रुपी परमात्मा से अलग होकर शोक ग्रस्त होती है ठीक इसी प्रकार एक जीव भी परमात्मा से विलग होकर दुख को प्राप्त करता है - साध्वी जी 5जिसका वर्णन गीता में है। इसी ज्ञान द्वारा ईश्वर का दर्शन संभव है महापुरुष हर युग में भटकी हुई मानव जाति को यही ज्ञान प्रदान करने आते हैं। यह ब्रह्म ज्ञान हमें  जीवन में  मंजिल पर पहुंचती है । कार्यक्रम में गायक वादक पंडित संत राम जी एवं समस्त तेघरा वासियो का सहयोग सराहनीय रहा ।

डीएनबी भारत डेस्क

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