बेगूसराय में हत्या मामले में पीड़ित ने पुलिस पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए तीसरे दिन भी सपरिवार का धरना जारी
बेगूसराय समाहरणालय के दक्षिणी द्वार पर आमरण अनशन पर बैठे परिवार ने साहेबपुर कमाल थाने की पुलिस एवं बलिया डीएसपी नेहा कुमारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय में साहेबपुर कमाल थाने की पुलिस एवं बलिया डीएसपी पर अपराधियों के साथ सांठ गांठ एवं मिली भगत सहित कांड अनुसंधान में पक्षपात का आरोप लगाकर एक पूरी परिवार के द्वारा दिया जा रहा अनशन आज तीसरे दिन भी जारी है। इस बीच अनशनकारियों ने आरोप लगाया है कि दो दिन बीत जाने के बावजूद अभी तक किसी भी प्रशासनिक पदाधिकारी के द्वारा संपर्क नहीं किया गया । दरअसल बेगूसराय समाहरणालय के दक्षिणी द्वार पर आमरण अनशन पर बैठे परिवार ने साहेबपुर कमाल थाने की पुलिस एवं बलिया डीएसपी नेहा कुमारी पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं ।
पूरे परिवार का कहना है कि 25 फरवरी को धर्मवीर दास नामक युवक की 11 लोगों के द्वारा पीट पीट कर हत्या कर दी गई थी और इस मामले में कुंदन पासवान सहित अन्य लोगों पर परिवार वालों ने हत्या करने का आरोप लगाया था तथा प्राथमिकी दर्ज करवाई थी । लेकिन पुलिस के द्वारा अनुसंधान में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है । हालांकि पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है लेकिन पुलिस 6 लोगों को स्वतंत्र गवाह बनाकर उन्हें बड़ी कर दिया है। जबकि परिवार जनों का कहना है कि सभी लोगों ने मिलकर लाठी डंडे से पीट-पीटकर धर्मवीर पासवान की हत्या की थी।
पूरा मामला शाहेबपुर कमाल थाना क्षेत्र के शाहेबपुर कमाल गांव की है। मृतक के भाई राहुल कुमार ने बताया कि छह महीना के दौरान बरीय पदाधिकारी से लेकर साहेबपुर कमल थाने में कई बार लिखित आवेदन दी गई एवं उन्हें अवगत कराया गया कि आरोपियों के द्वारा मुकदमा उठाने का दबाव बनाया जा रहा है और नहीं उठाने के एवज में परिवार के अन्य लोगों की हत्या की धमकी दी जा रही है । बावजूद इसके पुलिस गंभीरता नहीं दिख रही है । थक हारकर वह लोग आमरण अनशन पर बैठे हैं। वहीं बलिया के डीएसपी नेहा कुमारी ने कहा है कि पीड़ित परिवार का आरोप सरासर झूठ है।
घटना के बाद तीन व्यक्तियों को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया था तथा दो आरोपियों ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया था। हालांकि उक्त मामले में 11 लोगों पर प्राथमिक की दर्ज की गई थी लेकिन जांच पड़ताल में छह लोग वृद्ध पाए गए एवं कुछ लोग लकवा जैसी बीमारी से भी ग्रसित थे।स्थानीय गवाहों से पूछताछ में उन लोगों को निर्दोष पाया गया। अतः उन्हें अपर्याप्त साक्ष्य का लाभ देकर मुक्त कर दिया गया था । लेकिन अगर पीड़ित परिवार का आरोप है कि सही जांच नहीं की गई तो इसके लिए पुनः जांच कराई जाएगी। पुलिस पीड़ित परिवार के साथ है।
डीएनबी भारत डेस्क