असुरारी माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं, सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है – संध्या कुमारी

DNB BHARAT DESK

 

 

धर्म की रक्षा के लिए ही माता पृथ्वी पर आई हैं।

डीएनबी भारत डेस्क

असुरारी ग्राम स्थित माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं। सत्य ही परमेश्वर है और परमेश्वर ही सत्य है। जो व्यक्ति सत्य की पूजा नहीं करता है ।वह परमेश्वर की भी पूजा नहीं करता है। सत्य न्याय, नीति और सदाचार के चार स्तम्भों पर धर्म की भव्य मन्दिर खड़ा है। धर्म की रक्षा के लिए ही माता पृथ्वी पर आई हैं। उक्त बातें देवी भक्त दिक्षित वैष्णव ब्रह्माणी संध्या कुमारी ने भक्तों को असुरारी मां जगदम्बा प्रांगण स्थित आयोजित चैती दुर्गा पूजा के अवसर पर माता के दर्शन की अपील करते हुए कहीं।

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असुरारी माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं, सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है - संध्या कुमारी 2वहीं माता की प्रतिमा बरौनी फुलवरिया कैरिबारी के नामचीन कलाकारों द्वारा बनाया गया है। यहां प्रतिदिन संध्या महाआरती में असुरारी, असुरारी गाछी टोला, पिपरा देवस, हाजीपुर, हवासपूर , पपरौर, बथौली, नगर परिषद बीहट सहित आस-पास व सुदूरवर्ती क्षेत्रों से भक्त आकर आकर्षक महाआरती में शामिल होते हैं। मौके पर पर पूजा समिति सहित समस्त ग्रामवासी याचक बनकर माता के भक्तों एवं माता की सेवा करने में तल्लीन रहते हैं। यहां महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।

असुरारी माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं, सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है - संध्या कुमारी 3ताकि माता के दरबार में आए श्रद्धालु भक्तगणों को दर्शन,पूजन,अराधना, उपासना,जप -तप, दृढ़ नेम, व्रत,आरती, हवन-यज्ञ,संत सेवा, भंडारा आयोजित करने में किसी भी प्रकार से कोई कठिनाई नहीं हो। यहां आने के लिए तीन प्रमुख मार्ग हैं। जिसमें एक अवध तिरहुत सड़क पर असुरारी स्कूल के सामने दक्षिण दिशा में जाने वाली प्रमुख ग्रामीण सड़क तथा जीरोमाइल,बीहट होल्ट, असुरारी गांव होते हुए ग्राम कचहरी के रास्ते आने का सुलभ मार्ग है।

असुरारी माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं, सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है - संध्या कुमारी 4और एक मार्ग एन एच 28 पर मां शैल सर्विस पैट्रोल पंप के बगल से निकली मार्ग भी माता जगदम्बा के दरबार तक आती है। वहीं महर्षि गुरु विश्वामित्र के तपोस्थली और संत सनातन धर्म के सबसे आदर्श पुरुष पुरूषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी के ज्ञानस्थली, गौतम ऋषि नारी माता अहिल्या का पौराणिक तपो भूमि बक्सर के पंडित त्रिदंडी स्वामी के शिष्य माता का अराधक ज्ञानेश्वर कुमार ने कहा कि पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री। ये मां दुर्गा के नौ रुप हैं।

असुरारी माता जगदम्बा सत्य की उपासक हैं, सत्य ही परमेश्वर है, परमेश्वर ही सत्य है - संध्या कुमारी 5नवदुर्गा सनातन धर्म में भगवती माता दुर्गा जिन्हे आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बा भी कहा जाता है। वहीं प्रसिद्ध पंडित तीलरथ निवासी मुकेश कुमार मिश्र ने कहा। पंडित श्री मिश्र ने कहा मां सिद्धिदात्री का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली मां का माना गया है। इनके नाम का अर्थ है, ‘सिद्धि’ यानी अलौकिक शक्ति और ‘धात्री’ यानी देने वाली मां। मां के नौ रूपों को नौ अलग-अलग दिन अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है। मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाया जाता है।ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

 

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