29 जून से 05 महीने के लिए बंद हो जाएंगे उपनयन एवं विवाहादि मांगलिक कार्य

भगवान विष्णु शयन में जाने के कारण हरिशयनी एकादशी के बाद देवोत्थान एकादशी तक वर्जित है विवाहादि संस्कार कार्य

भगवान विष्णु शयन में जाने के कारण हरिशयनी एकादशी के बाद देवोत्थान एकादशी तक वर्जित है विवाहादि संस्कार कार्य

डीएनबी भारत डेस्क 

तपती गर्मी के बीच विवाह आदि आयोजन थमने का नाम नहीं ले रहे। शाम ढ़लते ही सड़कों पर एवं विवाह भवनों के आसपास ढ़ोल बाजे शहनाई की आवाज के साथ उत्सव का माहौल दिखने लगता है परंतु आगामी 29 जून से 5 महीने के लिए ढ़ोल बाजे एवं शहनाई की आवाज थम जाएगी।

ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री बताते हैं कि ज्योतिष एवं धर्म शास्त्रों की मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी को भगवान विष्णु दूध के सागर समुद्र में सोने चले जाते हैं जिसे हरिशयना एकादशी के नाम से जाना जाता है और कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे देवउठनी या देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है और इस दिन भगवान विष्णु शयन से जगते है इस चार मास भगवान विष्णु शयन में रहते है इस कारण उपनयन विवाहादि मांगलिक कार्य वर्जित है।

इस वर्ष पांच महीने का होगा चातुर्मास

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इस वर्ष श्रावण मास में अधिक मास का योग है इस कारण इस वर्ष चातुर्मास पांच महीने का होगा। यानी 29 जून 2023 से 23 नवंबर 2023 तक विवाहादि मांगलिक कार्य बंद रहेंगे और इस बीच भक्ति के साथ शिव एवं विष्णु की आराधना करनी चाहिए। चातुर्मास में वैष्णव धर्म का पालन करते हुए भगवान विष्णु और शिव की आराधना वांछित फल देने वाला होता है।

क्या है धार्मिक पुराणिक महत्व

आचार्य शास्त्री कहते है कि रामायण में इस विषय का संदर्भ आया है जब भगवान श्री राम माता जानकी का पता लगाने के लिए लंका की ओर यात्रा कर रहे थे तब उन्होंने चातुर्मास में अपने यात्रा को स्थगित करके शिव की आराधना की थी और देवोत्थान एकादशी के पश्चात पुनः लंका विजय के लिए आगे बैठे थे।

दूसरा व्यवहारिक कारण बताते हुए इतिहास शिक्षिका मधु कुमारी कहती हैं कि चातुर्मास के बीच बरसात का मौसम होता है बाढ़ के कारण जाने आने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। प्राचीन काल में संसाधनों की कमी होती थी इस कारण बरसात के दिनों में लोग विवाह आदि उत्सवों को मनाने में कठिनाई महसूस करते थे इसलिए पारंपरिक रूप से इस चातुर्मास में विवाह आदि संस्कार कार्य वर्जित है।

29 जून के बाद 24 नवम्बर को होगा पहला विवाह मुहूर्त

ज्योतिष आचार्य अविनाश शास्त्री कहते हैं कि विवाह आदि संस्कार कार्यों में सौर मास का विचार है 17 नवंबर 2023 को संक्रांति के साथ सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे जिससे सौर मास के अनुसार अगहन मास प्रारंभ हो जाएगा परंतु देवोत्थान एकादशी नहीं होने के कारण 17 नवंबर से 23 नवंबर तक लोगों को प्रतीक्षा करनी होगी एवं 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के साथ विवाह कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

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