बदलते जलवायु परिवर्तन में किसानों को आधुनिक तरीके से खेती करने की जरूरत

बेगूसराय जिला के खोदावंदपुर विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ रामपाल ने किसानों को अधुनिक तरीके से खेती करने की दी सलाह।

बेगूसराय जिला के खोदावंदपुर विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ रामपाल ने किसानों को आधुनिक तरीके से खेती करने की दी सलाह।

डीएनबी भारत डेस्क 

वर्तमान में बदलते जलवायु को देखते हुए किसानों को पारंपरिक कृषि प्रणाली छोड़ते हुए आधुनिक कृषि प्रणाली पर जोर देना चाहिए। उन्हें समय तथा रुपया बचाते हुए मौसम को ध्यान में रखते हुए तकनीकी विधि से खेती करनी चाहिए। ऐसे में कृषि मशीनीकरण एक अच्छा विकल्प है। उक्त बातें खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक व प्रधान डॉ रामपाल ने किसानों को सलाह देते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि यदि किसान मशीनों द्वारा खेती करते है तो किसानों का समय बचत के साथ अच्छी पैदावार भी होगी। ऐसे में अगर किसान जीरो टिलेज मशीन का उपयोग करते हैं तो वह समय से बीज बोआई कर पाएंगे तथा अधिक पैदावार भी कर सकेंगे। जीरो टिलेज मशीन लगभग हर एक फसल के लिए प्रयोग की जाने वाली एक आधुनिक मशीन है। जिसका उपयोग किसान धान, गेहूं, सरसों इत्यादि फसलों के लिए कर सकते हैं।

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अब खरीफ का मौसम शुरू होने वाला है। अगर किसान धान को जीरो टिलेज मशीन द्वारा धान की बिजाई करता है तो वे समय पर धान की बोआई भी कर पाएंगे। साथ ही साथ रबी की फसलों को भी समय से लगा सकेंगे। जीरो टिलेज मशीन का उपयोग करने के बहुत ही फायदे हैं। जीरो टिलेज से धान की खेती तैयारी करने पर समय बचा कर गेहूं की बुवाई सामान्य से 10 से 15 दिन पहले की जा सकती है। पारंपरिक बुआई के अपेक्षा इसमें खेत की तैयारी पर आने वाला लागत खर्च जैसे ट्रैक्टर का डीजल मजदूरी से लगभग 100 से 800 रुपया प्रति एकड़ बचाता है।

इस तकनीक से बुवाई में नियमित मात्रा में बीच का उपयोग होता है अतः 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ बीच की बचत होती है बीज की बुवाई पंक्ति में होती है। अतः पौधे को एक सामान्य रूप से पानी खाद तथा हवा मिलता है। यह लगभग हमारा 25 हजार रुपए पर हेक्टेयर बचाता है। साथ ही साथ जलवायु में इतना परिवर्तन आ रहा है। उसमें यह विधि काफी उपयोगी है।

पारंपरिक धान की कृषि में पानी को इकट्ठा करके रखना पड़ता था जिससे वास्पोसर्जन के कारण पानी की बहुत हानि होती थी क्योंकि पानी दुबारा वायुमंडल में चला जाता था परंतु जीरो टिलेज मशीन के द्वारा धान की बुवाई करने से पानी को इकट्ठा करके कदवा करने की आवश्यकता नहीं होती और पानी मिट्टी के नीचे के जल स्तर को बढ़ाने का काम करता है। जिससे कि पानी तथा धन की बचत होती है।

बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नीतेश कुमार गौतम 

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