उजड़े चमन में तब्दील होने लगा साधु संतों की टोली और पर्णकुटी से गुलज़ार सिमरिया धाम

DNB Bharat Desk

उत्तर वाहिनी गंगा नदी तट सिमरिया धाम में अनादि काल से हर वर्ष हिन्दी पंचांगों श्रेष्ठ वो उत्तम मास कार्तिक में होती आ रही तप योग कल्पवास से गुलज़ार रहता है। और यह कार्तिक पूर्णिमा के प्रतिपदा तिथियों से ही सिमरिया धाम में साधु संतों की जत्था अपने अपने गंतव्य, अगला पड़ाव हो या अपने घरों के लिए निकलने लगता है।

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इस बार सिमरिया धाम में तीन तरह से लोग कल्पवास कर रहे हैं। जिसमें एक ध्वजारोहण से ध्वज उत्थान तक कल्पवास कर रहे हैं। दूसरा संक्रान्ति से संक्रान्ति तीसरा पूर्णिमा से पूर्णिमा तक कल्पवास कर रहे हैं। जिसमें अधिकाधिक संख्या में श्रद्धालु संतों ने पूर्णिमा से पूर्णिमा तक कल्पवास किए हैं। इससे कार्तिक पूर्णिमा प्रतिपदा तिथि से ही साधु संतों, ऋषि मुनियों की पावन उपस्थितियों से गुलज़ार रहता था अब वह धीरे धीरे उजड़े चमन में तब्दील होने लगा है।

उजड़े चमन में तब्दील होने लगा साधु संतों की टोली और पर्णकुटी से गुलज़ार सिमरिया धाम 2सिमरिया धाम में रामचरित्र मानस, भागवत कथा प्रातः सहित कई महाग्रंथों, उपनिषदों की कथा कहते रहते थे प्रवचनकर्ता और श्रद्धालु संत नित्य पूजा आरती, तुलसी, आंवला,बरगद,पीपल,नीम वृक्षों का पूजन गंगा तट पूजन और आरती के साथ साथ सिमरिया धाम गंगा नदी तट स्थित शिवलिंगों, हनुमान मंदिर, काली मंदिर सहित कई मंदिरों में जाकर आरती हवन पूजन किया करते थे। इस दौरान चहुंओर हर पल भगवत भजन गायन होते रहता था। अब 60 प्रतिशत श्रद्धालु सिमरिया धाम से अपना पर्णकुटी समेट लिए हैं।

उजड़े चमन में तब्दील होने लगा साधु संतों की टोली और पर्णकुटी से गुलज़ार सिमरिया धाम 3इसी के साथ सभी कल्पवासी धर्म, कर्म, दान , पुण्य और खट्टी मिट्ठी यादों को समेट कर लिए जा रहे हैं। बताते चलें कि राजकीय कल्पवास मेला में रीवर फ्रंट पर लगने वाली और सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाली गंगा महाआरती भी पूर्णिमा तिथि को सम्पन्न हो गई। यह दृश्य काफ़ी मनोरम होता था और अधिकाधिक संख्या में अन्य श्रद्धालु गण भी गंगा महाआरती का पावन दर्शन कर मंत्रमुग्ध हो जाते थे। सिमरिया धाम में राजेन्द्र पुल से सिक्स लेन पुल होते हुए कल्पवास मेला क्षेत्र में हाइमास्ट लाईट जलती थी तो एक अलग सुन्दर छटा लगता था।

उजड़े चमन में तब्दील होने लगा साधु संतों की टोली और पर्णकुटी से गुलज़ार सिमरिया धाम 4पर अब कल्पवास मेला क्षेत्र में एक भी हाइमास्ट लाईट नहीं जलता है। साथी कल्पवास मेला क्षेत्र में शौचालय, पेयजल स्थल और अन्य स्थानों पर गंदगियों का अंबार लगा हुआ है। साथी ही साथ सुरक्षा कर्मियों की चहल पहल काफी कम हो गई है जिससे प्रायः श्रद्धालुओं के बीच चोरी होने सहित कोई अप्रिय घटनाओं को लेकर भय बना रहता है। जबकि यह कल्पवास मेला आगामी 17 नवम्बर तक रहेगा। इस ओर जिला प्रशासन को पहल करने की सख़्त आवश्यकता है।

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