डीएनबी भारत डेस्क
वर्तमान युवा पीढ़ी को नशे से रोका जा सकता है सबसे पहले तो हमें उन बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए जो लोग नशे के आदी है नशा करने वाले लोगों के परिवार का दायित्व है कि वह उन्हें समझाएं की नशा अच्छी नहीं है लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि जब किसी भी समारोह का रौनक,समाजीक प्रतिष्ठा और शान बनी दारु तब से समाज के हर तबके के लोगों में आनी शुरू हो गई विकृतियां। अब धीरे धीरे यह विकराल रूप धारण कर लिया है।


वीरपुर थाना क्षेत्र में आये दिन बालक के जन्म लेने पर छठी के अवसर हो या मुण्डन, उपनयन, विवाह या मां बाप के श्राद्ध कर्म हों या फिर पुजा पाठ का अवसर सबों में नशापान और आतीस बाजी, हर्ष फायरिंग, बालाओं के डांस पर थिरकते समाज सेवी आयोजन में चार चांद लगाते नजर आया करते हैं। यदा कदा जब लोग पुछते हैं कि हो नेता जी रात खुब मजा लेलहो तो कहा जाता है कल्चर और मांग के अनुरूप ढालना पड़ता है। जिससे आयोजित आयोजन में नशा भी मुख्य रूप से एक हिस्सा बनता चला जा रहा है। जिससे मौजूद समय में क्षेत्र के यूवाओं में पढ़ने लिखने, रोजी रोजगार की तलाश करने के बजाय,गांजा , भांग, शराब , अब अस्मैक, सुलेशन ना जाने कितने प्रकार की नशा से संबंधित सामग्रीयों को खरीदने, बेचने, पिने पिलाने की लत के शिकार खाश कर 13 से 25 आयु वर्ग के तो थौक में शिकार हो चुके हैं।
हद तो यह है कि जब पुलिस कार्रवाई में ऐसे किशोर धराते हैं तो उसके भविष्य की चिंता समाजसेवी सह जनप्रतिनिधियों को अधिक शताने लगता है कि कहीं पुलिस केस ना दर्ज कर दे। इसके लिए उच्च ओहदे के जनप्रतिनिधियों से मंत्रीयों से फोन के माध्यम से दवाव डलवाकर छोड़वा लिया जाता है। और चुनाव के वक्त वैसे यूवाओं को समाज में भोटरों को डराने-धमकाने में प्रयोग किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप स्वरूप वही किशोर/ यूवा धीरे-धीरे अपराध कि ओर मुंह करके के समाज में जघन्य और घृणित घटनाओं को अंजाम देते हैं। ऐसी परिस्थिति में हम कैसे सभ्य और सुंदर समाज की कल्पना करें।
बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट