गणेश गौरव के निर्देशन में बाल रंगमंच के नाटक ने दिया सन्देश

DNB Bharat Desk

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आकाश गंगा रंग चौपाल एसोसिएशन द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव, रंग-संगम 2025 के तहत चौथे दिन नाटक एक और युद्ध शांति के लिए की प्रस्तुति की गयी। बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बेगूसराय द्वारा प्रस्तुत नाटक की परिकल्पना व निर्देशन गणेश गौरव व प्रस्तुति संयोजन ऋषिकेश कुमार ने किया।नाटक के कसे हुए संवाद, आंगिक अभिनय और संगीत ने दर्शकों को भाव  विभोर कर दिया। हर दृश्य नाटक का रोमांचित करता चला गया। नाटक की मुख्य कहानी युद्ध ख़ुद ही मसला है, वो हल क्या देगी। परिवार के अंदर का युद्ध, महाभारत का युद्ध सत्ता, स्वाभिमान, स्वार्थ, ज़मीन के लिए लड़ी गई थी।

युद्ध के अंत में बचे गए वो जो पछतावा कर रहे थे। इस युद्ध में किसी की भी जीत नहीं हुई क्योंकि उन्होंने अपनों को मारा अपनों को खोया, जीता अंधापन, युद्ध वह अहंकार है जो समाज की पवित्रता और मानवता को नष्ट कर देता है। युद्ध की बलि चढ़ता है वर्षों का विकास, नई पीढ़ियों का हक। नाटक वर्तमान समय में एक परिवार की कहानी से शुरुआत होती है और अंतराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध हमारे लिए कितना विनाश का कारण बनता है उसे बखूबी बाल रंगमंच के कलाकारों में अपनी नाट्य प्रस्तुति में दिखाया। परिवार में आज जिस तरीके से ज़मीन के लिए भाई-भाई की हत्या, पुत्र अपने पिता की हत्या कर रहा है।

गणेश गौरव के निर्देशन में बाल रंगमंच के नाटक ने दिया सन्देश 2आज अपनी-अपनी देश की सीमा से बाहर जाकर अपना वर्चस्व क़ायम कर युद्ध की ओर जाने से हम ख़ुद को विनाश करते जा रहे है। कलाकारों ने अभिनय और संवाद के ज़रिए दिखाया कि हमें युद्ध नहीं शांति चाहिए। नाटक में नट- ऋषि कुमार, नटी -साक्षी कुमारी, पिता व पत्रकार में विजेंद्र कुमार, धृतराष्ट्र व राम में आकाश कुमार, गांधारी व सीता में पूर्णिमा कुमारी, युधिष्ठिर व पत्रकार- कुणाल कुमार, भरत व पत्रकार- राजेश कुमार, उर्मिला व पत्रकार-  आंचल कुमारी, लव- आयुष कुमार ने मुख्य भूमिका निभाई। कोरस में राज लक्ष्मी, मुस्कान, कंचन, मौसम, रिया, पड़ी धर्मवीर, आयुष, कृष्णा, प्रियांशु, प्रशांत ने अभिनय किया।

वहीं दूसरी प्रस्तुति शांतिपुर रंगपीठ पश्चिम बंगाल द्वारा विश्वजीत विश्चास के निर्देशन में सतघरिया नाटक का मंचन किया गया। संगीत और प्रकाश के साथ संवाद का समन्वय नाटक में अंत तक लोगों को बांधे रखा। नाटक में मनपत्थल गांव के हरिजन टोला की एक महिला चनपिया ने अपनी सुरक्षा, रोजी-रोटी के लिए 6 बार शादी की। हालांकि, हर बार शर्त यही थी कि चनपिया को अपने लिए खेतों में दिहाड़ी मजदूरी का काम खुद ही करना होगा। लेकिन इस बार 40 वर्षीय थकी-मांदी चनपिया अपने होने वाले दूल्हे नटोआर के साथ सुरथपुरा के हटिया जा रही है, इस शर्त के साथ कि अगर कोई जमीन मालिक चनपिया को मजदूर के रूप में चुन ले तो नटोआर उससे शादी कर लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

गणेश गौरव के निर्देशन में बाल रंगमंच के नाटक ने दिया सन्देश 3 फिर पहली बार चनपिया बेघर आदमी गैबीनाथ को अपना दूल्हा चुनती है और समाज के सारे नियम तोड़कर उसे अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में ले जाती है। नाटक में मंच पर चनपिया के रूप में नीलिमा विश्वास, नातोर दोशाद और धनपत प्रशांत बिद्यंता, मुंगीलाल के रूप में तृषित मैत्रा, तेरा राम और चौपटलाल में अमित महतो, मुंशी में जयंत दास गणपत, गैबीनाथ में समित महतो कथावाचक और जगन दोशाद में स्वयं निर्देशक के विश्वजीत बिस्वास बेहतरीन अभिनय किया। जबकि ग्रामीण में मिठू रानी गोस्वामी, प्रणति धानी, रिमी खातून, अंजना महतो, रानित प्रमाणिक ने काम किया। नाटक में वेशभूषा नीलिमा बिस्वास, सेट, प्रॉप्स, मास्क प्रशांत बिद्यंता, प्रकाश पर जयंत दास संगीत डिज़ाइन योगेश पांडेय का और ढोलक और ताल पर मसूद शेख का था।

गणेश गौरव के निर्देशन में बाल रंगमंच के नाटक ने दिया सन्देश 4इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन लाइफ लाइन हॉस्पिटल बरौनी के निदेशक डॉ हेमंत कुमार, नगर परिषद बीहट की मुख्य पार्षद बबीता देवी, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण गुंजन,पूर्व विधान पार्षद भूमिपाल राय, उपमुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार, संजय कुमार ललन के द्वारा किया गया। स्वागत सचिव गणेश गौरव व संयोजन डॉ कुन्दन कुमार के द्वारा किया गया। वही इस अवसर पर शास्त्रीय संगीत की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर दामिनी मिश्रा के द्वारा गीतों की प्रस्तुति की गयी। मौके पर अमर ज्योति, आनंद कुमार, बलराम बिहारी, राजू कुमार, लालू बिहारी, महेश, अंकित, सन्तोष, दिनेश दिवाना, निधि, आंचल, अंजलि, साक्षी, संस्कृति के द्वारा गीत और नृत्य की प्रस्तुति की गयी।

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