बछवाड़ा में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित दिव्यांग छात्रा ने दसवीं में 458 अंक प्राप्त कर रचा इतिहास

DNB BHARAT DESK

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बेगूसराय जिले के बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र के रानी एक पंचायत के वार्ड संख्या 12 झमटिया गांव निवासी रंजीत कुमार रवि की छोटी पुत्री  मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी लाईलाज बीमारी से ग्रसित दिव्यांग राजकीय कृत उच्च विद्यालय नारेपुर की छात्रा सृष्टि शिवांगी ने दसवीं की वार्षिक परीक्षा में 458 यानी 91.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर एक इतिहास रच दिया है। उनके इस सफलता जहां उनके परिजन गौरवान्वित हैं वहीं प्रखंड क्षेत्र में खुशी का लहर छा गया है। परिजन ने उन्हें मिठाई खिलाकर बधाई दी है।

बछवाड़ा में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित दिव्यांग छात्रा ने दसवीं में 458 अंक प्राप्त कर रचा इतिहास 2उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता एवं दादा दादी को दिया। एक किसान परिवार में जन्मी जिनका दादा खेती करते है और उनके पिता एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं। उनकी मां निजी विद्यालय में पढ़ाती हैं। सृष्टि शिवांगी एक भाई और दो बहन में सबसे छोटी है। उनकी बड़ी बहन शिलांग में नर्सिंग की तैयारी करती है और भाई पटना में रहकर तैयारी करते हैं। सृष्टि शिवांगी के पिता रंजीत कुमार रवि और माता का नाम कल्पना देवी हैं। सृष्टि बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हैं। उनके दादा हरेराम कुंवर ने बताया कि सृष्टि जब मात्र सात वर्ष की चतुर्थ वर्ग की छात्रा थी उसी दौरान उनके पैर में टेढ़ापन आने लगा।

बछवाड़ा में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित दिव्यांग छात्रा ने दसवीं में 458 अंक प्राप्त कर रचा इतिहास 3जब उसका इलाज कराने गया तब पता चला कि उनको एक ऐसी बीमारी ग्रसित कर लिया है जो लाइलाज है। मैं हारने लगा लेकिन मेरी पौत्री ने मुझे हौसला दिया। छात्रा सृष्टि शिवांगी ने बताया कि जब मुझे पता चला कि मैं मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी से ग्रसित हूँ जिसमें बच्चे धीरे धीरे आखिरी दौर में चले जाते हैं। लेकिन मैने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और घर पर रहकर ही ऑनलाइन क्लास के द्वारा तैयारी की और परीक्षा में बैठी और मुझे अच्छी सफलता मिली। मेरी मां मेरे साथ एक पिलर के रूप में खड़ी रही। जिनके मेहनत का सहारा मिला। उन्होंने बताया कि मैं जानती हूं मै धीरे धीरे अंतिम दौर से गुजर रही हूं।

बछवाड़ा में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से ग्रसित दिव्यांग छात्रा ने दसवीं में 458 अंक प्राप्त कर रचा इतिहास 4अगर मैं इस दुनिया में रही तो मैं शिक्षक बनकर बच्चों में शिक्षा का संचार करूंगी। मैं उन बच्चों को कहना चाहूंगी कि आप किसी भी परिस्थितियों में अपना हौसला मत हारिए। आप पास जितना भी समय हो उसका समुचित उपयोग कीजिए। वक्त सभी के पास सीमित होता है लेकिन जो सीमित समय का सही से उपयोग करते हैं वहीं सिकंदर होते हैं।

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