रेलवे स्टेशनों पर नई सेवा: 100 से अधिक रेलवे स्टेशनों पर चल रहा प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र। समस्तीपुर मंडल के समस्तीपुर और दरभंगा स्टेशनों पर खुला है ये केंद्र। भारतीय रेलवे में बिहार के आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, छपरा सहित 100 से ज्यादा स्टेशनों पर प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंन्द्र चल रहे हैं।
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को यात्रा के दौरान सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए रेलवे स्टेशनों पर भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य ‘करोड़ों यात्रियों को आपातकाल के दौरान रेलवे स्टेशनों पर सस्ती कीमतों पर दवाइयां उपलब्ध कराना’ है। पिछले कुछ महीनों में, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (पीएमबीजेपी) ने 110 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर सफलतापूर्वक काम करना शुरू कर दिया है। ये समस्तीपुर मंडल के दरभंगा, समस्तीपुर स्टेशन सहित पूमरे में पटना जंक्शन और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन पर काम कर रहे हैं।
पीएमबीजेपी पहल से यह सुनिश्चित हो रहा है कि हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो और रेलवे भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब इस पहल की सफलता और लोगों के उत्साह को देखते हुए भारतीय रेलवे ने अन्य स्थानों पर भी प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के स्टॉल खोलने का फैसला किया है। लोगों को सस्ती दवाइयां मिलेंगी इस महत्वपूर्ण निर्णय से न केवल रोजगार के अवसर पैदा हों रहे हैं बल्कि लोगों को सस्ती कीमतों पर दवाइयां भी मिल रही है।
यह योजना लाखों यात्रियों और रेलवे स्टेशनों पर आने वाले आगंतुकों को जन औषधि उत्पादों तक आसानी से पहुँचने में सक्षम बनाती है। इस योजना के तहत, पीएमबीजेके को ‘वांछनीय यात्री सुविधा’ माना जाता है, और तदनुसार, रेलवे परिचालन के लिए स्टेशनों के परिचालित क्षेत्रों और कॉनकोर्स में स्थान प्रदान करता है। आउटलेट सुविधाजनक स्थानों पर स्थित होते हैं ताकि आने वाले और जाने वाले दोनों यात्री लाभ उठा सकें। संबंधित रेलवे डिवीजनों के साथ ई-नीलामी द्वारा स्टॉल प्रदान किए जाते हैं, और सफल व्यवसायों को दवा की दुकान चलाने के लिए आवश्यक अनुमतियाँ और लाइसेंस प्राप्त करने होते हैं और दवाओं के भंडारण के लिए सभी वैधानिक आवश्यकताओं का पालन करना होता है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों का उद्देश्य सभी लोगों, खासकर गरीबों और वंचितों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है। ताकि स्वास्थ्य सेवा में होने वाले खर्च को कम किया जा सके। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्रों पर ये सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के अंतर्गत विभिन्न उत्पादों में 2047 दवाइयां और 300 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों जैसे कार्डियोवैस्कुलर, एंटी-कैंसर, एंटी-डायबिटिक्स, एंटी-इंफेक्टिव्स, एंटी-एलर्जिक, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल दवाइयां, न्यूट्रास्युटिकल्स आदि को कवर करते हैं।
प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई आयुर्वेदिक उत्पाद भी शामिल किए गए हैं और ये लोगों को किफायती दामों पर आसानी से उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र क्या है उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत जन औषधि केंद्रों के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है। पिछले 10 वर्षों में, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाओं की बिक्री से उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) ने अक्टूबर 2024 में 1000 करोड़ रुपये की बिक्री करके एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं पर लोगों के बढ़ते भरोसे और निर्भरता को दर्शाती है। यह केवल नागरिकों के अटूट समर्थन से ही संभव हो पाया है, जिन्होंने देश भर में 14,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों से दवाइयां खरीदकर इस पहल को अपनाया है। यह पर्याप्त वृद्धि कम खर्च में स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ और सस्ती बनाने की पीएमबीजेपी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही पीएमबीजेपी ने सितंबर 2024 में एक ही महीने में 200 करोड़ रुपये की दवाइयां बेची थीं।विदित हो कि पीएमबीजेपी के तहत आपूर्ति की जाने वाली दवाइयों को विश्व स्वास्थ्य संगठन- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदा जाता है, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। गोदामों में पहुंचने के बाद दवाओं के प्रत्येक बैच का परीक्षण ‘राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है। गुणवत्ता परीक्षण पास करने के बाद ही दवाओं को जन औषधि केंद्रों (जेएके) में भेजा जाता है। गुणवत्ता मापदंडों को पूरा न करने वाले किसी भी बैच को आपूर्तिकर्ता को वापस कर दिया जाता है। जेएके के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है।
पिछले 10 वर्षों में ऐसे केन्द्रों की संख्या में 170 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। ये केंद्र 2014 में केवल 80 थे और अब बढ़कर 14,000 से अधिक केन्द्र हो गए है, जो देश के लगभग सभी जिलों और चयनित रेलवे स्टेशनों में फैले हुए है।अगले 2 वर्षों में देश में 25000 जन औषधि केंद्र होंने का अनुमान है। लगभग 1 मिलियन लोग प्रतिदिन इन लोकप्रिय जन-हितैषी केंद्रों पर जा रहे हैं। इन औषधि केंद्रों पर रिकॉर्ड तोड़ बिक्री न केवल कार्यक्रम की सफलता को उजागर करती है, बल्कि यह देश में स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
समस्तीपुर से अफरोज आलम