जैविक खेती पद्धति मिट्टी के साथ ही लोगों के लिए भी होता है स्वास्थ्यवर्धक

DNB Bharat Desk

 

डीएनबी भारत डेस्क

जैविक खेती पद्धति मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ साथ आमलोगो के लिए भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। जल प्रदूषण को कम करने में सहायक होती है और जैव विविधता को भी संरक्षित करती है। उक्त बातें केवीके बेगूसराय के वरीय कृषि वैज्ञानिक व प्रधान डॉ राम पाल ने खोदावंदपुर के कर्पूरी भवन में आयोजित तीन दिवसीय जैविक खेती कृषक प्रशिक्षण समापन समारोह को संबोधित करते हुए बुधवार को कही।

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सोमवार से आयोजित प्रशिक्षण समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह खाद, फसल चक्र, और कवर फसल जैसी प्रथाओं के माध्यम से स्वस्थ मिट्टी के निर्माण और रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करता है। मिट्टी के उर्वरता, संरचना और पोषक तत्वों में सुधार होता है। यह सिंथेटिक कीटनाशकों, शाकनाशियो, उर्वरता और अनुवांशिक रूप से संसोधित जीवों के उपयोग पर प्रतिबंध लगता है। परिणास्वरूप, जैविक उत्पाद हानिकारक रासायनिक अवशेषों से मुक्त होता है। जिससे यह उपभोग के लिए सुरक्षित हो जाता है और स्वास्थ्य जोखिम कम हो जाता है। यह विभिन्न प्रकार के लाभकारी कीड़ों, पक्षियों और वन्यजीवों, पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में मदद करता है तथा प्राकृतिक कीट नियंत्रण को बढ़ावा देता है। यह जल संसाधनों के संरक्षण और मिट्टी के कटाव को कम करने में मदद करता है।

जैविक खेती के तरीके जैसे कार्बनिक पदार्थ और कवर फसलो का उपयोग, मिट्टी के कार्बनिक पदार्थ सोखने में मदद करता है। जो जलवायु परिवर्तन को कम करने अहम योगदान करते हैं। यह स्वदेशी बीजों, पारंपरिक फसल जैसे मरुआ, कोदो, चीना, मक्का, ज्वार बाजरा आदि किस्मों और स्थानीय कृषि ज्ञान के संरक्षण को बढ़ावा देता है। इसमें कम लागत और बेहतर मुनाफा होता है। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि आपलोग किसानी के क्षेत्र में जैव उत्पादन के बावत प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं उसे अपने पास पड़ोस के किसानों के बीच भी चर्चा करें और उन्हें इस क्षेत्र में किसानगिरी करने के लिए प्रेरित करें।

बताते चलें कि जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में मेघौल, सागी, फ़फौत से चयनित 119 किसानों ने भाग लिया। इसकी जानकारी देते हुए कृषि समन्वयक मनोज कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम में मौजूद बीडीओ नवनीत के द्वारा प्रशिक्षित सभी किसानों को प्रशिक्षण प्रमाणपत्र दिया गया।

खोदावंदपुर, बेगूसराय से नितेश कुमार ‘गौतम’

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