रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति द्वारा खगड़िया रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर किया गया एक दिवसीय धरना प्रदर्शन
रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति रेल मंत्रालय से मांग किया कि सहरसा से खगड़िया होते हुए भागलपुर के बीच, सहरसा या सुपौल से खगड़िया -मुंगेर – भागलपुर – साहेबगंज- रामपुर – वर्धमान के रास्ते हावड़ा अथवा सियालदाह के बीच, सहरसा या पूर्णिया से खगड़िया – मुंगेर – भागलपुर – बांका के रास्ते देवघर के बीच ट्रेन चलाई जाए।
डीएनबी भारत डेस्क
खगड़िया में रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति द्वारा खगड़िया रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर ट्रेन की संख्या बढाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया गया। केंद्रीय संयोजक सुभाष चंद्र जोशी की अध्यक्षता में कार्यक्रम रखी गई। कार्यक्रम का संचालन केंद्रीय सह संयोजक उमेश ठाकुर ने किया।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए केंदीय संयोजक सुभाष चंद्र जोशी ने कहा केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना मुंगेर-खगड़िया रेल सह सड़क पुल आज प्रारम्भ हुए सात वर्ष बीत चुके है। लेकिन इस पुल का पूर्ण लाभ रेल मंत्रालय नही ले रही है। जिसके कारण जनता को भी लाभ नही मिल रही है। उन्होंने कहा रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति रेल मंत्रालय से मांग करती है कि
सहरसा से खगड़िया होते हुए भागलपुर के बीच, सहरसा या सुपौल से खगड़िया -मुंगेर – भागलपुर – साहेबगंज- रामपुर – वर्धमान के रास्ते हावड़ा अथवा सियालदाह के बीच, सहरसा या पूर्णिया से खगड़िया – मुंगेर – भागलपुर – बांका के रास्ते देवघर के बीच ट्रेन चलाई जाए। सभा को सम्बोधित करते हुए उमेश ठाकुर ने बताया की 16 अप्रैल 2016 में मुंगेर पुल का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उक्त पुल की लागत लगभग 36 सौ करोड़ लगा था। इंजीनियर के अनुसार पुल पर 24 घंटे में 75 ट्रेन आवगमन करेगी। तब 25 वर्ष में पुल की लागत का खर्च उपर होगा।
लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि 7 वर्ष के पश्चात भी केवल चार -पांच गाड़िया आवागमन करती है। जबकि 98-99 में पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उद्घाटन के दौरान भाषण में बोले थे कि उतर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले आम जनो का मुख्य मार्ग रेल सह सड़क पुल होगा जो प्रत्येक दिन लाखो लोगो का आवागमन करेंगे जो आज तक वो बात सपने में ही रह गया। आज भी रेल सरकार रेल ही पुल का कार्य सभी जगह धीमी गति से कर रही है,जिसके कारण लागत भी बढ़ती है।
खगड़िया संवादाता राजीव कुमार की रिपोर्ट