नगर निकाय चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला टला, सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए मांगा समय

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अब नगर निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई फरवरी के पहले हफ्ते में।

डीएनबी भारत डेस्क 

पूरे बिहार के सभी नगर निकाय में दिसंबर माह में हुए नगर निकाय चुनाव में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किये जाने व नियम के विपरीत चुनाव करा लिये जाने के राज्बय सरकार के फैसले पर 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई अब फरवरी माह के पहले सप्ताह में होगी।

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20 जनवरी शुक्रवार को इस मुद्दे पर सुनवाई हुई। जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके महेश्वरी की पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू की। जिसमें बिहार सरकार के प्रतिनिधि वकील ने कोर्ट में दायर याचिका पर सरकार का पक्ष रखने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रतिनिधि का अनुरोध स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।

बिहार में दिसंबर माह में दो चरणों में निकाय चुनाव हो चुका है। और सरकार के निर्देशु पर सभी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने शपथ लेकर अपने काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन निकाय चुनाव में अति पिछड़ा वर्ग को उचित आरक्षण नहीं देने की बात कही गई है।

इसी को लेकर याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव को नियम विपरीत कराया जाना बताया है। साथ ही उन्होंने कहा हाईकोर्ट ने कहा था कि अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 20 प्रतिशत आरक्षित सीटों को जनरल कर नए सिरे से नोटिफिकेशन जारी करें। बावजूद सरकार के द्वारा गोपनीय ढ़ाई से अपने मनोनकुल स्निथिति में चुनाव कराया जाना एवं निर्वाचन आयोग की तरफ से बस चुनाव की तिथि को बदला जाना और इसके अलावा किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाना है।

न हीं आरक्षण की स्थिति में और न ही अलग से नोटिफिकेशन जारी किया गया।इस मामले में बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है। बिहार सरकर ने शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान अपना जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अब देखना यह है कि फरवरी के पहले सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में राज्य सरकार का अपना पक्ष क्या रखेगी। पूरे बिहार के लोगों की नजर इस पर टीकी है।

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