बरौनी कोलबोर्ड रोड एवं रेलवे चाहरदीवारी के बीच 30 फीट कूल 20.03 एकड़ भूमि रेलवे की, आरटीआई से हुआ मामले का खुलासा

पूर्व मध्य सोनपुर मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग विभाग ने दी जानकारी, 82 वर्षों से बरौनी रेलवे की 20.03 एकड़ जमीन कब से है अतिक्रमित, रेल प्रशासन को मालूम नहीं।

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पूर्व मध्य सोनपुर मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग विभाग ने दी जानकारी, 82 वर्षों से बरौनी रेलवे की 20.03 एकड़ जमीन कब से है अतिक्रमित, रेल प्रशासन को मालूम नहीं।
डीएनबी भारत डेस्क 

बरौनी 61स्पेशल गुमती से लेकर बरौनी 7बी अम्बे सिनेमा गुमती तक रेल परिसर से सटा या यूं कहें कि चाहरदीवारी से सटी खाली सरकारी भूमि पर दर्जनों बेसहारा गरीब लोग 50 वर्षों से भी अधिक समय से झोपड़ी, कठरा एवं फुटकर का दुकान में सैलून, चाय व होटल खोलकर अपना और अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे हैं। लेकिन विगत कुछ वर्षों से दबंगों और भू-माफियाओं की नजर उक्त सरकारी जमीन पर पड़ी है। नतीजतन गरीब लोगों को अपनी दबंगता और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से तंग कर उनकी दुकान पर जबरन कब्जा जमाया जाने का सिलसिला इनदिनों जोड़ो पर है। जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

उक्त मामले में जमीन को लेकर उहापोह की स्थिति तब हो जाती हैं जब पीड़ित प्रताड़ित दुकानदार अपनी फरियाद लेकर स्थानीय थाना पहुंचते हैं तो उन्हें यह कह कर टाला जाता है कि वह रेलवे की जमीन है और रेलवे कुछ स्पष्ट नहीं कर पाती है। हलांकी विगत वर्ष 2021 में एपीएसएम काॅलेज के पास उक्त भूमि पर अतिक्रमण कर निर्माण कार्य पर आरपीएफ बरौनी के द्वारा बड़ी कार्रवाई की गई थी। और रेलवे की भूमि को अतिक्रमण मुक्त किया गया था। एवं निर्माण सामग्री को भी जप्त किया गया था।

वहीं इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट शोकहारा 2 निवासी गिरीश प्रसाद गुप्ता ने सूचना अधिकार के तहत पूर्व मध्य रेल सोनपुर मंडल से इस संबंध में जानकारी मांगी। जिसके अंतर्गत बरौनी में रेलवे की 20.03 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण कब से है। जिसके आलोक में मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग सोनपुर ने इस भूमि को रेल प्रशासन की होने की बात कहते हुए बताया है कि वर्ष 1940 में 20.03 एकड़ भूमि जनसुविधा के लिए और उसकी रख रखाव को लेकर जिला बोर्ड मुंगेर को दी गई थी।

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बाद में रेलवे कॉलोनी की सुरक्षा हेतु विभाग द्वारा चाहरदिवारी के निर्माण के समय सड़क से लगभग 30 फ़ीट जमीन छोड़ दिया गया था। जो वर्ष 1940 से 2022 तक यानि 82 वर्षो से वर्तमान समय में अतिक्रमित है। यह भूमि राजवाड़ा 61 स्पेशल गुमती से काॅल बोर्ड रोड मुख्य मार्ग से सटे रेलवे चाहरदीवरी के बीच 7 बी रेलवे गुमती तक है। इस सच का खुलासा करते हुए मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग सोनपुर ने आरटीआई के जबाब में एवं केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा एक सुनवाई के बाद शोकहारा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता को 29 दिसंबर 22 को उपलब्ध कराया गया है।

रेलवे ने रेल भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर तेघड़ा एसडीओ को भी  लिखा पत्र, लेकिन मामला अभकतक लंबित।
वहीं मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग सोनपुर ने आगे इस संबंध में आवेदक को बरौनी स्थित सहायक मंडल अभियंता पश्चिम का पत्र भी उपलब्ध कराया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि 61 स्पेशल राजवाड़ा गुमती से लेकर 7 बी गुमती के बीच रेल परिसर से सटे दुर्गा मंदिर तक निरीक्षण के दौरान पाया कि सड़क के किनारे कई अस्थायी व स्थायी संरचना बना कर रेल भूमि पर अतिक्रमण कर ली गई है।
निरिक्षण के बाद सभी अस्थायी व स्थायी दुकानों पर अतिक्रमण मुक्त करने का नोटिस भी चिपकाया गया था। लेकिन रेलभूमि अतिक्रमण मुक्त नहीं हुआ। नतीजतन बाध्य होकर उक्त रेल भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने को लेकर अनुमंडल अधिकारी तेघड़ा को एक पत्र 2021 में भेजी गई थी। जो अभी तक वहां लंबित पड़ा है। वहीं आवेदक आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2021 के मई माह में ही मंडल रेल प्रबंधक इंजीनियरिंग सोनपुर से रेलवे के 20.03 एकड़ भूमि के संबंध में प्रमाणिक नक्शा सहित जानकारी मांगी थी।

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