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बिहार की स्थिति को बदलने के लिए ऐसे जनप्रतिनिधि चुनने होंगे जो विकास के लिए काम करें – प्रशांत किशोर

DNB Bharat Desk

 

जन सुराज पदयात्रा का 51वां दिन – पूर्वी चंपारण के अरेराज पहुंचे प्रशांत किशोर, कहा- बिहार की स्थिति बदलनी है तो 100-150 अच्छे व्यक्तियों को विधायक बनाना होगा

डीएनबी भारत डेस्क 

प्रशांत किशोर के जन सुराज पदयात्रा के 51वें दिन की शुरुआत पूर्वी चंपारण जिले के ममरखा पंचायत के मलाही गांव स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद पदयात्रा का हुजूम चटिया बहरवा पंचायत पहुंचा। जहां प्रशांत किशोर समेत सभी पदयात्रियों का लोगों ने भव्य स्वागत किया व कुछ दूरी तक पदयात्रा का हिस्सा बनें। इसके बाद प्रशांत किशोर ने जनसभा को संबोधित किया। आज पदयात्रा मलाही गांव से शुरू होकर बहरवा,रामसरिया, चैतिया, सिरनी, सिसवा, दामोदरपुर, कौवाह,बलहा, ररहिया, रायटोला, राजेपुर, मिसरौलिया, हरदिया होते हुए अरेराज नगर पंचयात में रात्रि विश्राम के लिए पहुंची।

बिहार की स्थिति बदलनी है तो 100-150 अच्छे व्यक्तियों को विधायक बनाना होगा
पूर्वी चंपारण के अरेराज प्रखंड के चटिया बहरवा में प्रशांत किशोर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “समाज में अच्छे लोगों की कमी नहीं है। हमें जरूरत है ऐसे लोगों को ढूंढ कर निकालने की जो मुखिया, विधायक और पार्षद बनकर जनता को ठगे नहीं, बल्कि जनता के विकास के लिए काम करें।बिहार की स्थिति को बदलने के लिए ऐसे जनप्रतिनिधि चुनने होंगे जो विकास के लिए काम करें - प्रशांत किशोर 2 इसके साथ ही प्रशांत ने कहा कि बिहार तब सुधरेगा जब 100-150 अच्छे व्यक्ति विधायक बनेंगे। बिहार तब सुधरेगा जब 2-5 हजार अच्छे व्यक्ति मुखिया और सरपंच चुनकर आएंगे। केवल एक मुख्यमंत्री और दल बदलने से बिहार बदलने वाला नहीं है।”

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बिहार सरकार के एमएसपी पर खरीद से गेहूं और धान पर किसानों को मिलेंगे अतिरिक्त 25-30 हजार करोड़
पूर्वी चंपारण के सीरनी पंचायत में प्रशांत किशोर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, “यदि बिहार सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान खरीद ले तो किसानों को 25 से 30 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त मिलेंगे। आगे उन्होंने कहा कि जब पहले किसान खेती करता था, तो भले ही सादा जीवनयापन करता था लेकिन 2-5 वर्ष खेती करने के बाद वह 5 कट्ठा जमीन खरीद सके इतना पैसा जोड़ लेता था। अब स्थिति ऐसी है कि किसानों के पास कृषि के अलावा रोजी-रोजगार के अन्य साधन है ही नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि खेती में किसानों को नुकसान होता, तो कर्ज में उसकी 5 कट्ठा जमीन भी बिक जाती है।”

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