पीएम मोदी की तरफ से वक्फ बिल सबसे बड़ी ईदी होगी- साबरी
गरीब मुसलमानों को PM मोदी से उम्मीदें इसीलिए इस संशोधन विधेयक का नाम ‘उम्मीद’ रखा है -साबरी

डीएनबी भारत डेस्क
वक्फ विधेयक पर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा बिहार के पुर्व प्रदेश प्रवक्ता रुमान अहमद साबरी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि “अब देश समझ चुका है कि यह वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक तुष्टीकरण की राजनीति से वक्फ बोर्ड को वोट बैंक बना कर रखा, मुस्लिम बहनों को ट्रिपल तलाक के बंधनों में बांधकर रखा… आज विपक्ष गरीब, मुस्लिम महिलाओं, विधवा बहनों और बच्चों के पक्ष में खड़े रहने के बजाय भू माफियाओं के साथ खड़ा है.” विधेयक पर साबरी ने बताया कि “यह बिल संवैधानिक है, मुसलमानों के हित में, गरीबों के हित में है “काफी लंबे समय से लोगों को इसका इंतजार था।
लोगों को उम्मीद है कि एक अच्छा बिल आएगा… वक्फ में अब तक जो खामियां नजर आ रही थीं उन्हें जरूर दूर किया गया है ।” उन्होंने आगे कहा, “…लोकतंत्र में सभी को विरोध करने का अधिकार है लेकिन मुख्य तौर पर जो आपत्तियां थीं मुझे पता चला है कि सरकार द्वारा विपक्ष के उन सुझावों को मान लिया गया है इसलिए यह बहुत अच्छा बिल आएगा। जो लोग आपत्ति जता रहे थे उनकी आपत्ति भी दूर हो जाएगी… आम और गरीब मुसलमानों तक अब वक्फ का पैसा पहुंचेगा
रुमान साबरी ने कहा, “आज तमाम मुसलमानों के लिए मुस्लिम वक्फ कल्याण दिवस है जिन्हें उम्मीद थी कि भाजपा यानी पीएम मोदी के नेतृत्व की सरकार ही हमारे लिए कल्याण का काम कर सकती है जिस तरह से हमारी मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से आजादी दिलाने का काम किया गया। इसी तरह से वक्फ संशोधन विधेयक 2024 हमारे तमाम दबे, पिछड़े मुस्लिम भाई-बहनों के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी खबर और पीएम मोदी की तरफ से सबसे बड़ी ईदी होगी….ये बिल लाकर पीएम मोदी ने उनके कल्याण के लिए ये फैसला किया है
इसके लिए उनकी हम प्रशंसा करते हैं….आज ये बिल पूर्ण बहुमत से पास होगा.”गरीब मुसलमानों को PM मोदी से उम्मीदें हैं और इसीलिए हमने इस संशोधन विधेयक का नाम ‘उम्मीद’ रखा है। प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने तय किया है कि वे गरीब मुसलमानों को मुख्यधारा में लाएंगे। यह ’70 साल बनाम मोदी कार्यकाल’ है। विपक्ष के पास 70 साल थे और उन्होंने जो कर सकते थे किया। उन्होंने वक्फ को लूटा। अमीरों ने गरीबों के हक लूटे।”उन्होंने कहा कि कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मुसलमानों की मस्जिदें, कब्रिस्तान और जमीन-जायदाद छीन ली जाएगी, जबकि यह कानून आजादी से पहले था और बाद में भी है। इसमें लगातार बदलाव भी किए गए तो अब असंवैधानिक कैसे हो गया?
पुर्व के बिल और वर्तमान के बिल में चार अंतर कीए गए हैं। पहले वक्फ ट्रिब्युनल में ही सभी प्रकार के विवादों का निपटारा किया जाता था लेकिन अब माननीय उच्च न्यायालय व माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने चुनौती दी जा सकती है। पहले वक्फ कमिटी में केवल मुस्लिम थे लेकिन अब दो महिलाएं सहित अन्य समुदायों के लोग भी कमिटी के सदस्य होंगे जीस से पारदर्शिता आएगी। पहले किसी भुमी पर किसी भी प्रकार का मस्जिद, मदरसे होते थे तो वह वक्फ की प्रोपर्टी मानी जाती थी लेकिन अब वह भुमि यदि किसी ने वक्फ नहीं की तो वह वक्फ की सम्पत्ति नहीं मानीं जाएगी।
भाजपा नेता ने कहा कि इस संशोधित बिल से वक्फ प्रोपर्टी का सही उपयोग किया जा सकता है और उसका सही हक उचित लोगों तक पहुंच सकता है। आखिर क्या कारण है कि आज तक वक्फ बोर्ड घाटे में चल रही है जब कि भारत में दुसरी सबसे बड़ी भुमि वाली बोर्ड है लेकिन फिर भी मुसलमानों की हालात बहुत ख़राब है। देश के मुसलमानों को विधेयक समझने की आवश्यकता है। कुछ लोग बिना समझे ही ईसका विरोध कर सभी मुसलमानों को दिग्भ्रमित करना चाहते हैं जब कि यह बिल शीशे की तरह साफ है केवल समझने की आवश्यकता है।
समस्तीपुर संवाददाता अफरोज आलम की रिपोर्ट