डीएनबी भारत डेस्क
बिहार राज्य किसान सभा के आठवां बेगूसराय जिला सम्मेलन के लिए चुने गए प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा बेगूसराय में किसान आंदोलन की बेमिसाल इतिहास है। हमारी जो उपलब्धियां है, उसको हमें किसानों के बीच में ले जाना होगा। हम लोग अपने कामों को भी लोगों के बीच नहीं ले जाते हैं। इसलिए बिहार राज्य किसान सभा की बेगूसराय में क्या भूमिका है,लोग नहीं जानते हैं। यदि हम उन्हें बताएं,तो बेगूसराय में किसान सभा के लाखों सदस्य बन सकते हैं।

बरौनी डेयरी द्वारा दूध उत्पादकों की लूट के खिलाफ पहली बार बेगूसराय किसान सभा के आंदोलन के बदौलत दूध का दाम 2 रू लीटर बढ़ा इससे बेगूसराय और खगरिया के अलावे लखीसराय,पटना के दूध उत्पादकों को हजारों करोड़ रूपये का लाभ हुआ। खाद माफिया, डीएम संजीव हंस और डी ए ओ के मेल से बेगूसराय में 486 रुपए का डीएपी 600 रू में बिक रहा था। किसान आंदोलन बेगूसराय में जब अपना विकराल रूप लिया तो किसानों को 500 रु में डीएपी मिला। किसानों को इससे करोड़ों रुपए का मुनाफा हुआ। खाद माफिया द्वारा उनकी पॉकेट रुकी। करोड़ों रुपए का लाभ हुआ।किसान आंदोलन के दबाव में वर्ष 2021-22 में बिहार में सबसे ज्यादा गेहूं की अधिप्राप्ति बेगूसराय में हुआ। लगभग 3 लाख 50 हजार क्विंटल गेहूं की खरीद हुई।
कम से कम 300 रु प्रति क्विंटल किसानों को लाभ हुआ। इससे करोड़ों रुपया बेगूसराय के किसानों को लाभ हुआ।यूरिया की कालाबाजारी से जहां बिहार के अन्य जिलों में 400 से 600 रु बैग युरिया बिक रही है। वहीं किसान आंदोलन के चलते बेगूसराय में 270 से 300 रु के बीच यूरिया खाद किसानों को उपलब्ध हुआ। जिससे करोड़ों रुपये का लाभ किसानों को हुआ।बेगूसराय सेंट्रल कोऑपरेटिव बैकं के प्रबंध समिति के चुनाव में किसान सभा के पैनल की जीत होती है। बरौनी डेयरी के प्रबंध समिति के चुनाव में भी अधिकांश लोग किसान सभा के पैनल से जीतते है।चाहे दूध उत्पादक हो या गन्ना उत्पादक हो सब की लड़ाई किसान सभा लड़ती रही है।
हम अपने इन उपलब्धियां को गांव-गांव में जाकर किसानों को हमें बताना होगा और किसान सभा का सदस्य उन्हें बना कर संगठित कर आंदोलन को तेज करना होगा,तभी किसानों का भला होगा हम सभी जानते हैं कि हाल के चार-पांच महीनों में हमारी गतिविधियां शिथिल हुई। जिसका नतीजा हुआ कि बेगूसराय में भी 1350 रुपए डीएपी 1800 रु में बिका। यूरिया खाद के लिए आज चारों ओर हाहाकार मची हुई है। यूरिया खाद के अभाव में किसानों का गेहूं का फसल बर्बाद हो रहा है। यूरिया खाद का कारखाना हर्ल कंपनी का धुआं और जहर हम पीते हैं। मगर चिराग तले अंधेरा वाली कहावत यहां चल रहा है कि हमारे घर में हर्ल कंपनी है और उसका खाद बेगूसराय को नहीं मिले।
हमें अपने जिला सम्मेलन में विचार करना चाहिए और जिला प्रशासन को पूर्व की तरह स्पष्ट रूप से एक बार कहना पड़ेगा कि बेगूसराय के किसानों को लूटने नहीं दिया नहीं देंगे। यदि जिला प्रशासन अविलंब ठोस पहल नहीं करेगी, तो हर्ल कंपनी का खाद यहां से बाहर जाने नहीं देंगे। इस अवसर पर कार्यकारी जिला सचिव दिनेश सिंह ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि बेगूसराय के किसानों के संघर्षों को हम किसी कीमत पर मिटने नहीं देंगे। इतिहास बताते हुए संगठन को मजबूत करने का उन्होंने आह्वान किया। अंचल सचिव भोला सिंह, प्रभारी चंद्र भूषण सिंह, पूर्व प्रमुख रामसागारथ सहनी आदि ने अपना उधगार व्यक्त किया। कन्वेंशन की अध्यक्षता सनातन सिंह ने की
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