वास्तविक सुख शांति को ही कहा गया है, अशांत को सुख कहां – स्वामी चिदात्मन जी महाराज
बिहार में सिमरिया धाम पर मां जानकी पौड़ी को स्थापित किया जाए, जो इस काम को करेंगे वे सदा इतिहास में अमर हो जायेंगे। वास्तविक सुख शांति को ही कहा गया है, अशांत को सुख कहां - स्वामी चिदात्मन जी महाराज। गोविंद हरे गोपाल हरे से गूंजता रहा सिमरिया गंगा तट
बिहार में सिमरिया धाम पर मां जानकी पौड़ी को स्थापित किया जाए, जो इस काम को करेंगे वे सदा इतिहास में अमर हो जायेंगे। वास्तविक सुख शांति को ही कहा गया है, अशांत को सुख कहां – स्वामी चिदात्मन जी महाराज। गोविंद हरे गोपाल हरे से गूंजता रहा सिमरिया गंगा तट
डीएनबी भारत डेस्क
रविवार को राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया के मेला क्षेत्र का तीसरा परिक्रमा सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ सिमरिया काली धाम से गाजे बाजे ऊंट के साथ हाथों में ध्वजा पताका लेकर सिद्धपीठ काली धाम के सदस्यों द्वारा लेकर गाजे बाजे की धुन पर डांस करते आगे बढ़ते रहे। जबकि स्वामी चिदात्मन जी महाराज की अगुवाई में तीसरी परिक्रमा में सैकड़ों श्रद्धालुओं महिलाएं और पुरुषों की भारी भीड़ के साथ तीसरी परिक्रमा धूमधाम से संपन्न हुआ। सर्वमंगला आश्रम सिमरिया घाट से परिक्रमा निकल कर कल्पवास मेला क्षेत्र में गोविन्द हरे गोपाल हरे से गूंजता रहा। परिक्रमा के दौरान लौटने के बाद ज्ञानमंच से प्रवचन करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि वर्तमान में सुशासन बाबू व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सौजन्य से सिमरिया धाम पर महाकुंभ एवं अर्धकुंभ का पुनर्जागरण हुआ। उनके करकमलों से विगत वर्ष 2017 ई में यहां महाकुंभ का उद्घाटन किया गया। उनके द्वारा सिमरिया धाम में सर्वांगीण विकास किया जाएगा।
स्वामी जी ने कहा नौ नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सिमरिया धाम में आगमन है। हमें विश्वास है कि सिमरिया धाम में विकास कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। आगामी 2023 में अर्द्धकुंभ योग में कल्पवासी संत समाज के साथ साथ यहां की जनता को विश्वास है कि सिमरिया धाम के विकास में चार चांद लगेगा। उन्होंने कहा जिस तरह हरिद्वार में हडकी पौड़ी, अयोध्या में राम की पौड़ी, भारतीयता में चार चांद लगाने वाली है। उसी तरह बिहार में सिमरिया धाम पर मां जानकी पौड़ी को स्थापित किया जाए। जो इस काम को करेंगे वे सदा इतिहास में अमर हो जायेंगे।
सिमरिया धाम में हो निम्न सुविधाएं
जिस दिन आदिकुंभ स्थली सिमरिया धाम में मां जानकी पौड़ी, परिक्रमा मार्ग, गंगा घाट में सीढ़ी निर्माण, घाट पर कपड़ा बदलने का कक्ष, शौचालय, प्रकाश, स्वच्छता, सुरक्षा, सभागार, शवदाह गृह, पार्किंग, सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं जिस दिन उपलब्ध करा दिया जाएगा। उस दिन से सिमरिया धाम का सर्वांगीण विकास समझा जाएगा। वहीं स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने अध्यात्म की ओर ले जाते हुए कहा कि भौतिक आध्यात्मिक अनुसंधान को साथ रखें तो विश्व ब्रह्माण्ड का कल्याण होता है। आध्यात्मिक अनुसंधान की पराकाष्ठा हुई। उन्होंने कहा कि अनादिकाल से योग, यज्ञ, तप, तीर्थाटन कर्म होता है। आज सौभाग्य देवभूमि के कार्तिक मास संस्कृति व अतीत को गौरव प्राप्त किया। उन्होंने कहा देवभूमि भारत में आध्यात्मिक अनुसंधान का पराकाष्ठा पर रहा है। जिसका परिणाम में विश्व पुस्तकालय का पहला ग्रंथ वेद है। ज्ञानमंच और भक्ति की गंगा बहती है। वास्तविक सुख शांति को ही कहा गया है। अशांत को सुख कहा है। उन्होंने कहा भौतिक अनुसंधान जहां तक हमें सुख सुविधा में वृद्धि किया। उसी अशांत के विनाश के कगार पर ले आया है। यदि तीसरी आण्विक विश्व युद्ध होता है तो विश्व ब्रह्माण्ड के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होता है। स्वामी जी ने कहा कि विश्व शांति का अनुयायी भारत है।
सदा विश्व में शांति के लिए प्रत्यनशील रहा है। और वर्तमान में भी प्रत्यनशील है। केन्द्र सरकार प्रत्यनशील है। योग यज्ञ व्रत तप सूचिता के साथ साथ विश्व ब्रह्माण्ड में शांति कायम करना रही है। उन्होंने कहा आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम वो तट है जो समुद्र मंथन से निकली अमृत वितरण की स्थली ही नहीं शरीर व शास्त्र मंथन की भी स्थली रही है। इसीलिए विश्व में एक मात्र विदैह नगरी मिथिलांचल की यह दक्षिणी सीमा है। जो मिथिला मगध और अंग का सीमा क्षेत्र होने के कारण त्रिवेणी बनता है। गंगा गंगा के संगम की वजह से प्रयाग बनता है। कार्तिक मास में कल्पवास मेला की परंपरा चली आ रही है।
परिक्रमा के दौरान बरौनी बीडीओ वीरेन्द्र कुमार सिंह, सीओ सुजीत सुमन, तेघड़ा सीओ रशिम, चकिया ओपी प्रभारी दिवाकर प्रसाद सिंह, रविंद्र ब्रह्मचारी सर्वमंगला के सचिव दिनेश प्रसाद सिंह कोषाध्यक्ष नवीन प्रसाद सिंह सुशील चौधरी, सुधीर चौधरी, संतोष कुमार, संतोष सिंह, मीडिया प्रभारी नीलमणि, तरुण सिंह, पटेल सिंह, नृपेंद्र प्रसाद सिंह, सुरुचि देवी, प्रतिभा देवी, संयुक्ता देवी, पूनम देवी, उषा रानी, सुनीता देवी, राजा कुमार, हरिनाथ मिश्र, शंभू मिश्र, रमेश मिश्र, दिनेश झा, राजेश झा, लक्ष्मण झा, राम शंकर झा, रजनीश झा, अरविंद चौधरी, सदानंद झा सहित अन्य मौजूद थे।