डीएनबी भारत डेस्क
इन दिनों प्राकृतिक आपदा का कहर लगातार जारी रहने से जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। जहां आम लोग बैगैर जरुरत के घरों से निकलना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। वहीं किसानों, खेतीहर मजदूरों, पशुपालकों के सामने तो मुसिबत ही मुसिबत हो गया है।
- Sponsored Ads-

हाट, बाजार, हरकतों पर जहां लोग खचाखच भरे रहते थे। फिलहाल सब के सब सुने सुने से दिखाई देने लगे हैं।हद तो यह है कि जब सरकार सब की साथ सब का विकास की बातें करती है तो कुछ लोगों के तन पर अब भी समुचित कपड़े नहीं हैं।
जो किसी अजुवा से कम नहीं है। पशुपालकों के सामने खेत पटवन समेत पशुओं के हारे चारा के साथ जानवरों को सुरक्षित रखने की परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है।
बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट