नाटक के माध्यम से छात्र छात्राओं ने निरंतर अभ्यास और गुरु के मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है का संदेश
डीएनबी भारत डेस्क

संत पॉल पब्लिक स्कूल, तेघड़ा में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भारतीय संस्कृति में गुरु की महिमा को समर्पित एक सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों में गुरु के प्रति सम्मान, आभार और आत्मिक संबंध की भावना को प्रबल करना था।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय की प्रात:कालीन प्रार्थना सभा में सरस्वती वंदना से हुई, जिसके पश्चात छात्र-छात्राओं ने गुरु वंदना कर शिक्षकों को नमन किया। इसके उपरांत विद्यार्थियों द्वारा श्लोक पाठ, कविता पाठ, भजन, नृत्य और नाट्य जैसी विविध रंगारंग प्रस्तुतियाँ दी गईं।
“गुरु महिमा” नामक लघु नाटक ने दर्शकों को विशेष रूप से प्रभावित किया। इस नाटक में सृष्टि कुमारी (गुरु), आरुषि कुमारी (गुरुमाता), रितिका कुमारी (वरदराज शिष्य) सहित उज्जैफ आलम, अविनाश, अंशुमनी, अनुराग, अभिलक्ष्य सिद्धार्थ आदि छात्रों ने उत्कृष्ट अभिनय प्रस्तुत किया। नाटक का संदेश था कि निरंतर अभ्यास और गुरु के मार्गदर्शन से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है — जैसे रस्सी की रगड़ से पत्थर पर भी निशान बन जाता है।
कार्यक्रम का सबसे भावुक क्षण तब आया जब विद्यार्थियों ने अपने-अपने गुरुओं को पुष्प अर्पित कर चरण वंदना की और आशीर्वाद प्राप्त किया।
विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती तनु सौरभ ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में गुरु को जीवन का पथप्रदर्शक, प्रेरक और चरित्र निर्माता बताया। उन्होंने विद्यार्थियों को गुरु के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
विद्यालय के प्रबंधक श्री सुनील कुमार सिंह ने गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए कहा:
यह सृष्टि एक अखंड मंडलाकार व्यवस्था है, जिसकी ऊर्जा का स्रोत परम तत्व है। उस तत्व से आत्मिक संबंध को जानने और समझने का प्रयास गुरु के चरणों में बैठकर ही संभव है। जैसे सूर्य की तपती भूमि को वर्षा शीतलता देती है, वैसे ही गुरु के सान्निध्य में शिष्य को ज्ञान, भक्ति और योग की ऊर्जा प्राप्त होती है।
इस आयोजन ने न केवल गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता को उजागर किया, बल्कि विद्यालय परिसर को सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
कार्यक्रम का समापन शिक्षक भीम कुमार द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। इस आयोजन को सफल बनाने में श्री राम कुमार मिश्रा (समन्वयक), प्रफुल्ल कुमार, भारती कुमारी, प्रीति प्रिया, कंचन कुमारी, प्रेम माधुरी, शिव शंकर मिश्रा, राकेश कुमार सहित समस्त शिक्षकों और कर्मियों का विशेष योगदान रहा।
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