किसान की बात सब करता है साहब, सुनता कोई नहीं है
डीएनबी भारत डेस्क

भारत गांव का देश है। यहां की आत्मा खेत और खलिहानों में निवास करती है। भारत की 70% आबादी खेती और किसानी पर निर्भर है। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही किसान हित की बात करती है। बेशक कृषि और किसान के उन्नयन हेतु एक से एक योजनाएं और कल्याणकारी कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाए जा रहे हैं ।जिसका लाभ जिस रूप में किसानों को मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पा रहा है। यह हम नहीं कहते जो जमीन पर दिन-रात मिट्टी से जुड़कर मेहनत करने वाले हमारे अन्नदाता किसान हैं यह उनका दर्द है। खुदाबंदपुर के किसान कहते हैं किसान की बात तो सब करते हैं साहब पर सुनता कौन है ।किसान बताते हैं जिस समय चेरिया बरियारपुर के विधायक रामजीवन सिंह बिहार सरकार में सिंचाई मंत्री हुआ करते थे।
खोदाबंदपुर नलकूप प्रशाखा में 29 राजकीय नलकूप लगवाया था। लघु सिंचाई विभाग से सिर्फ खुदाबांदपुर प्रखंड में पांच नलकूप, मेघौल, मटिहानी मोईन किनारे दो, खुदाबांदपुर में दो बुढ़ी गंडक में बाड़ा गांव में एक उद्धव सिंचाई के तहत सरकारी नलकूप लगाया गया था। राजकीय नलकूप जो थे उसका नाला जमीन के सतह पर था। जबकि उद्भव सिंचाई से जो नलकूप लगे थे उनका नाल भूमिगत था। विद्युत चलित यह नलकूप उस जमाने में सैकरो एकर खेतों का पटवन करता था । स समय सिंचाई होने से मिट्टी मानो फसल के रूप में सोना उगलती थी ।आज सब के सब बंद पड़े हैं। खोदाबंदपुर के किसान स्थानीय जनप्रतिनिधि ,प्रशासन और मंत्री तक इसकी शिकायत करते रहे। इनकी कौन सुनता है। नलकूप का रख रखाव कभी पंचायत को दे दिया कभी विभाग को दे दिया। लेकिन जमीन पर सुधार नहीं हुआ साहब। सब के सब बंद पड़े हुए हैं ।निजी नलकूप के सहारे खेतों का पटवन करके यहां के किसान मिट्टी से सोना उगा रहे हैं । किसानों की सहायता ,सुविधा के नाम पर सरकार का लाखों की राशि इन नलकूपों को खर्च होने के बाद भी बेकार पड़ा है। राजकीय नलकूप बिहार सरकार की महत्वाकांक्षा योजना था ।सरकार द्वारा नलकूप को लगाने से सस्ता में खेतों का पठान हो जाता था।
जिससे खेती का लागत कम पढ़ता था। पैदावार अधिक होता था ।पैदावार अधिक होने से मुनाफा अधिक था। खेती लाभकारी व्यवसाय था ।नलकूपों का सही रख रखाव नहीं होने के कारण सर संरचना ध्वस्त है और बेकार पड़ा है ।हम सरकार से मांग करते हैंतमाम बंद पड़े राजकीय नलकूपों का जीरनोधार कराकर शीघ्र चालू कराया जाए ।ताकि सस्ता में सुविधा पूर्वक लोग खेतों का सिंचाई कर सकें। सुनील पटेल किसान। खोदाबंदपुर प्रखंड मुख्यालय में नलकूप प्रशाखा हुआ करता था ।जहां से पूरे प्रखंड में इन राजकीय नलकूपों का संचालन किया जाता था ।प्रखंड के लिए अभियंता, नलकूप चालक, सहचालक, चौकीदार और तहसीलदार नाम से कर्मचारी हुआ करते थे। इसके अलावे मोटर रिपेयरिंग मिस्त्री भी नियुक्त थे ।कुछ भी गड़बड़ी होता था उसको स समय ठीक कर नलकूप को चालू कर दिया जाता था। पूरा सिस्टम समाप्त कर दिया गया है ।प्रखंड से प्रशाखा कार्यालय भी विलोपित कर दिया गया है । करोड़ों की लागत से सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कबार और कचरा बनकर रह गया है ।
सरकार को बिना विलंब किए किसान हित कि महत्वाकांक्षी योजना को पुनर्जीवित कर फिर से चालू करने की आवश्यकता है। मणि भूषण प्रसाद सिंह किसान। बिहार सरकार फसलों की सिंचाई को लेकर काफी चिंतित है। सकारात्मक प्रयास भी कर रही है। इसमें कोई शक नहीं। आज हर घर को नल से जल और हर खेत को बिजली पहुंचा जा रहा है। इसके लिए अलग विद्युत फीडर दे दिया गया है। लेकिन निजी नलकूप योजना बंद है। सरकार को चाहिए किसानों को अनुदानित दर पर निजी नलकूप मुहैया करा दे अथवा नलकूप पर अनुदान प्रदान करें ताकि अधिक से अधिक किसान अपने खेतों में अपना नलकूप लगा सके ।
साथ ही साथ पुराने जो सरकारी नलकूप बंद है उनको भी अति शीघ्र लागू किया जाए। यदि ऐसा होता है कि बहुत बड़ा एरिया का सुविधाजनक सिंचाई हो सकेगा ।वीरेंद्र प्रसाद सिंह किसान। सिंचाई खेती के लिए जरूरी है। नलकूप सिंचाई का प्रमुख संसाधन है । दुर्भाग्य है जो भी सरकारी नलकूप लगाए गए हैं सरकार की गलत कृषि नीति के कारण बेकार हैं ।बिहार सरकार अक्सर अपना निर्णय बदलते रहती है। जिसके कारण ना तो सरकारी सिंचाई संसाधन का हम किसानों को लाभ मिलता है ना समर्थन मूल्य का लाभ मिलता है। हम लाचार और बेबस हैं ।कहां फरियाद करें ।यहां का हकीम ही बेदर्द है। इसीलिए तो कहते हैं किसानों की बात सब करता है साहब पर सुनताकौन है । अभिषेक सिंन्हा किसान।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट