डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के बछवाड़ा प्रखंड क्षेत्र में जहां विभिन्न पंचायतों के वार्डो में बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में सात निश्चय के तहत जल नल योजना द्वारा क्षेत्र के लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल हेतु जगह जगह पानी टंकी का निर्माण कराया गया। साथ ही योजना संचालन की जिम्मेवारी निजी संस्था या संवेदक के हवाले कर दिया गया। परन्तु यह योजना लगभग स्थानों पर हाथी के दांत के समान साबित हुआ। इसी योजना के द्वारा रानी एक पंचायत में वार्ड संख्या 8,10,11 और 12 के लाभुकों के लिए निजी जमीन नहीं उपलब्ध होने के कारण पूर्व में प्रखण्ड कार्यालय परिसर में निर्मित टंकी जो वर्ष 2003- 04 का चुनाव किया गया।
उक्त टंकी में अत्याधुनिक यंत्र को लगा कर जल का शुद्धिकरण कर लाभुकों के बीच उपलब्ध कराया जाना था।उक्त टंकी का संचालन संवेदक चेरिया बरियारपुर निवासी राहुल कुमार को संचालित करने के लिए दिया गया। विभागीय उदासीनता और संवेदक के लापरवाही के कारण लाभुकों को शुद्ध जल का लाभ नहीं मिल सका। इस योजना में चारों वार्ड में लगभग 725 लोगों को कनेक्शन दिया गया। परन्तु कुछ दिनों तक जल का उपयोग मवेशी को धोने और खेत में लगे फसल में पानी देने के काम आया। लगभग एक साल तक संचालन के बाद जगह जगह पाइप टूट जाने और मुख्य कनेक्शन के जाम रहने की समस्या होती रही।
वर्तमान समय में तीन सौ घरों में जल नहीं जा रहा है तो शेष जगह एक बाल्टी जल के लिए दस से पंद्रह मिनट तक इंतजार करना पड़ता है। ग्रामीणों के द्वारा कई बार इसकी शिकायत लिखित और मौखिक पदाधिकारियों से किया गया है। बछवाड़ा में मुख्यमंत्री के आगमन के समय भाकपा नेता सह पूर्व पैक्स अध्यक्ष रानी एक राज कुमार चौधरी के द्वारा स्कूटिव हैदर अली से किया परंतु कोई सुनवाई नहीं हो पाया, पुनः चार पांच माह पूर्व जे ई मैनेजर राम से लिखित शिकायत की पर कार्रवाई ढाक के तीन पात रहा। दो वर्ष से टंकी की सफाई का कार्य भी नहीं हुआ। जिससे लाभुकों को गंदा पानी मिल रहा है। जल वितरण हेतु संवेदक के द्वारा ऑपरेटर के रूप मे बेचन पासवान को 7500 रूपये मासिक मजदूरी पर रखा गया।
जिसकी अवधि 49 माह बीत जाने पर मजदूरी के रूप मे मात्र 70000 रूपये दिए गए जबकि उनकी मजदूरी 367500 रूपये हो गए। मजदूरी नहीं मिलने से उनका बुरा हाल है। बच्चों की पढ़ाई बाधित है बच्ची शादी योग्य हो चुकी है। अगर उनको उनकी पूर्ण मजदूरी प्राप्त हो जाती तो बच्ची की शादी कर सकते है। मजदूरी नहीं मिलने से उनको बच्ची की शादी की चिंता लगी हुई है। संवेदक के टेंडर का समय सीमा भी मार्च 2025 में समाप्त होने पर है। इस योजना से जहां लाभुक स्वच्छ जल का इंतजार कर रहे हैं तो ऑपरेटर अपनी मजदूरी का इनकार कर रहे है। लेकिन इन समस्या की चिंता ना तो संवेदक को और ना ही पदाधिकारियों को। इस समस्या के निदान के लिए ग्रामीण सरकार से मांग करते हैं कि मजदूर की मजदूरी और क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ जल का लाभ अविलंब उपलब्ध कराया जाए।
बेगूसराय बछवाड़ा संवाददाता मनोज कुमार राहुल की रिपोर्ट