नुक्कड़ नाटक के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण माह पर लोगों को किया जायेगा जागरूक
‘सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत’ पर फोकस करते हुए पूरे माह बिहार के छह जिलों में गीत, संगीत एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से आमजनों को जागरूक किया जाएगा - एस के मालवीय। सांस्कृतिक दल के कलाकारों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का किया गया आयोजन
डीएनबी भारत डेस्क
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), पटना द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह के अवसर पर पंजीकृत सांस्कृतिक दल के कलाकारों के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन पीआईबी एवं सीबीसी, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने दीप प्रज्जवलित कर किया। मौके पर पीआईबी, पटना के निदेशक अशीष के लकरा, सीबीसी, पटना के उप निदेशक सह कार्यालय प्रमुख संजय कुमार, सहायक निदेशक एन एन झा, कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा, क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी मनीष कुमार और यूनिसेफ पटना के वरीय सहालाकर अनूप कुमार झा मौजूद थे।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीबीसी, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण माह 2023 की थीम- सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत पर फोकस करते हुए सांस्कृतिक दलों के कलाकार पूरे सितंबर माह में बिहार के विभिन्न जिलों में जन-जागरूकता का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार के छह जिलों- पटना, शिवहर, बक्सर, किशनगंज, शेखपुरा और अररिया में पंजीकृत सांस्कृतिक दल के कलाकार गीत, संगीत एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से राष्ट्रीय पोषण माह पर आमजनों को जागरूक करेंगे। सांस्कृतिक दल के कलाकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनके कंटेंट की भाषा आम जनों की भाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक दल के कलाकार फील्ड में जाकर विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे, जिससे प्रभावशाली तरीके से कुपोषण को कम करने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पीआईबी, पटना के निदेशक आशीष के लकरा ने कहा कि लाइफस्टाइल में बदलाव आने से पोषण में भी बदलाव आ गया है। लोगों में विटामिन डी और कैल्शियम की कमी आम बात हो गई है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए पैसों की बहुत जरूरत नहीं होती है बल्कि हम प्रकृति में उपस्थित उन चीजों के इस्तेमाल से भी खुद को स्वस्थ रख सकते हैं, जो बेहद सस्ते रूप से उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक दल के कलाकारों को बाजार, सत्तू, साग, दूध आदि पौष्टिक आहार के बारे में लोगों को बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक दल के कलाकार अपने काम को बखूबी रूप से करते हैं और पूरी उम्मीद है कि इस पोषण माह में भी वे लोगों को जागरुक कर पाने में अपनी भूमिका बखूबी निभाएंगे।
सीबीसी, पटना के उपनिदेशक सह कार्यालय प्रमुख संजय कुमार ने कहा कि लोगों के बीच में संदेश को देना कलाकारों का मूल कार्य है। उनका परफॉर्मेंस उनके काम को प्रदर्शित करता है, इसलिए वे जब भी फील्ड में जाएं तो अपने कार्य को निष्ठा और ईमानदारी के साथ पूरा करें। उन्होंने कहा कि बिहार में अभी भी कुपोषण अधिक है, ऐसे में इस पूरे माह सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से पोषण के बारे में लोगों को जागरूक करना एक दूरगामी पहल है।
सीबीसी, पटना के सहायक निदेशक एन एन झा ने कहा कि अभी भी कुपोषण लगातार बना हुआ है इसीलिए राष्ट्रीय पोषण माह जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हर वर्ष आयोजित किया जाता है। उन्होंने कहा कि बिहार के जिन छह जिलों में कुपोषण के दर अधिक हैं, वहां पंजीकृत सांस्कृतिक दल के कलाकारों द्वारा जन जागरूकता का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कलाकारों से आग्रह करते हुए कहा कि वह अपने स्क्रिप्ट, गीत आदि में स्थानीय भाषा, आसान शब्दों आदि का प्रयोग करें ताकि ग्रामीण आसानी से उसे समझ सके और उसे मनोरंजन भी बनाना चाहिेए।
स्वागत संबोधन एवं विषय प्रवेश करते हुए सीबीसी, पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि आज भी सांस्कृतिक कार्यक्रम संचार का एक सशक्त माध्यम है और ऐसे में एक संचारक के तौर पर सांस्कृतिक दल के कलाकारों की भूमिका गांव, देहातों व दूरस्थ इलाकों में काफी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि पोषण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक दल के कलाकारों को कार्यशाला के माध्यम से उनका उन्मुखीकरण किया गया है, जिससे वह अपना ज्ञानवर्धन और जानकारी इकट्ठा करके फील्ड में जब जाएंगे तो बेहतर तरीके से अपने कार्य को कर पाने में सक्षम होंगे।
तकनीकी सत्र में सांस्कृतिक दल के कलाकारों को पोषण पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए यूनिसेफ पटना के वरीय सलाहकार (पोषण और व्यवहार परिवर्तन) अनूप कुमार झा ने कहा कि देश अभी भी कुपोषण, खून की कमी जैसी अन्य समस्याओं से जूझ रहा है, वैसे में हर वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जाना बेहद जरूरी है। कलाकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कलाकारों को गर्भवती मां, स्तनपान, ऊपरी आहार, टीकाकरण, बच्चों की वृद्धि, एनीमिया, खाद्य संवर्धन, दस्त प्रबंधन आदि आठ विषयों को ध्यान में रखते हुए अपनी प्रस्तुति करेंगे तो वे लोगों के बीच अच्छे तरीके से जागरूक करने में सफल होंगे।
फील्ड में जन जागरूकता के लिए जाने वाले सांस्कृतिक दल के कलाकारों को ट्रेनिग देने के लिए पटना के सांस्कृतिक दल ‘प्रस्तुति’ द्वारा गीत, संगीत एवं नाटक (सपने का सच) की प्रस्तुति की गई। बिहार के छह जिलों में जाने वाले सांस्कृतिक दलों में जहांगीर कव्वाल (नूर जहां), मां म्यूजिक (आरती सिंह), नाद (जानी), जन चेतना लोक कल्याण समिति (सोना देवी) और लोक कला मंच (आलोक कुमार) कार्यशाला में शामिल हुए।
कार्यक्रम का संचालन सीबीसी, पटना के कार्यक्रम प्रमुख पवन कुमार सिन्हा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन सीबीसी, पटना के सहायक निदेशक एन एन झा ने किया। मौके पर क्षेत्रीय प्रचार सहायक नवल किशोर झा तथा अमरेंद्र मोहन सहित विभाग के वरीय कलाकार आरती झा, अंजना झा, राकेश चंद्र आर्य और दीपक कुमार उपस्थित थे। इसके साथ ही पंजीकृत सांस्कृतिक दलों में के प्रमुख और कलाकाल भी मौजूद थे।