डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय/खोदावंदपुर-फबबारा सिंचाई से खेती का लागत कम आता है। पैदावार अधिक होता है ।अधिक पैदावार होने के कारण किसानों को मुनाफा अधिक होता है। जिससे कृषि घाटे का नहीं मुनाफे का कारोबार बन जाता है। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र खोदाबंदपुर के बरीय वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉक्टर रामपाल ने रविवार को जिले के विभिन्न प्रखंडों से परिक्षेत्र भवन पर आए किसानों को सिंचाई व्यवस्था और फसलों की गुणवत्ता को दिखाते हुए कहा।

दर्जनों महिला पुरुष किसान कृषि विज्ञान केंद्र में संचालित फबबारा से सिंचाई व्यवस्था, जीरो टिलेज से खेती का तकनीक एवं फसलों की गुणवत्ता, प्राकृतिक खेती, बकरी पालन यूनिट मुर्गा पालन यूनिट डेयरी यूनिट, वानिकी यूनिट, पोषण वाटिका, सब्जी उत्पादन यूनिट, कृषि यंत्र बैंक, इत्यादि का अवलोकन किया। डॉ रामपाल ने जीरो टेलेज खेती का विशेषता बताते हुए कहा कि ऐसा करने से जुताई का खर्चा बच जाता है ।फसलों में खरपतवार नहीं उगता है। इससे निकोनी का खर्चा जो मजदूरों पर लगता है वह बच जाता है। आगात खेती करने में किसानों को सहूलियत होता है। केंद्र पर प्राकृतिक खेती में किसी भी रासायनिक उर्वरक या कीटनाशी का प्रयोग नहीं किया जाता है। ऐसा करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बना रहता है तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पाद का उत्पादन होता है ।
प्राकृतिक फसलों का मूल्य बाजार में अधिक मिलता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभ कर होता है। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉक्टर पाल ने किसनों की टीम को केंद्र परिसर में किया जा रहे बकरी पालन यूनिट, मुर्गा पालन यूनिट ,गाय पालन यूनिट, पोषण वाटिका इत्यादि का भ्रमण कराया और उनके लालन-पालन की तकनीक से अवगत कराया।
कहा किसान जो इसमें क्षेत्र में अभिरुचि रखते हैं अपना व्यवसाय खड़ा करते हैं तो वैज्ञानिक विधि से इनका पालन कर लाभकारी मूल्य कमा सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं इस मौके पर किसानों ने भी खुलकर वैज्ञानिक कृषि वैज्ञानिकों से बातचीत की और अपनी समस्याओं को रखा जिसका समाधान वैज्ञानिकों की टीम ने कियामौके पर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर विपिन कुमार डॉक्टर एवं कृषि विज्ञान केंद्र के अन्य कर्मी भी मौजूद थे।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट