कार्तिक मास में व्रती बनकर कल्पवास करने से गति मुक्ति मिलती है-अवध किशोर दास जी महाराज

 

रामायण और भागवत भगवान का सर्वश्रेष्ठ कथा है,इस कथा में नवधा भक्ति प्रधान है – अवध किशोर दास जी महाराज

डीएनबी भारत डेस्क

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कार्तिक मास एक पवित्र मास होता है। इस पवित्र मास में गंगा नदी किनारे माह भर व्रती बनकर कल्पवास करने का बहुत महत्व है। इससे गति मुक्ति मिलती है। उक्त सारगर्भित वचन सोमवार को आदिकुंभस्थली सिमरिया धाम में कल्पवासियों के बीच ब्यास से प्रवचन देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी अवध किशोर दास जी महाराज ने कहा। आगे उन्होंने कार्तिक मास महात्म्य और फिर कार्तिक मास में गंगा नदी तट पर कल्पवास करने के महत्व को कहते हुए कहा कि लोग यहां साधु,संत, महन्त, खालसा धारियों, महामंडलेश्वर, जगतगुरु का सानिध्य में भजन भाव और भोज – भंडारा करते हैं।

यहां श्रद्धालु श्रोता गण भागवत, रामायण कथा इत्यादि सुनते और सुनाते हैं। आगे उन्होंने कहा कि कार्तिक मास में सिमरिया धाम गंगा नदी तट पर एक पल का भी कल्पवास करने का बहुत महत्व है।‌ कल्पवास करने से उसमें काल का बास नहीं होता है। वहीं नियमित कथा में प्रवचन देते हुए कहा कि रामायण और भागवत भगवान का सर्वश्रेष्ठ कथा है,इस कथा में नवधा भक्ति प्रधान है। जो नवधा भक्ति भगवान ने सबरी से बताए। भगवान ने कहे नवधा भक्ति महों तो पाहीं। सावधान सुनि धरु मन माहीं।

प्रकाश के पर्व दीपावली में नवधा भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रथम भक्ति संतन कर संगा, दुसर भक्ति मम कथा प्रसंगा  गुरु पद पंकज सेवा तीसर भक्ति अमान, चौथे भक्ति मम गुणगान करे कपट तजी गान, मंत्र जाप मम दृढ़ विश्वासा, पंचम भक्ति वेद प्रकाशा, षष्ठम शील वीरती बहुकरना, सातम सम मोही जग देखा, मोते अधिक संत कर लेखा, आठम यथा लाभ संतोषा, सपनों नहीं देखे पर दोषा। नवम सरल सब सन छल हीना, मम भरोष हिय हर्ष न दीना। नवम हूं में से जिनमें एको होई नारी पुरुष चराचर कोई, सोई अति से प्रिय भामिनी मोरे। सकल प्रकार भक्ति दृढ़ तोरे। यही नवधा भक्ति है इसी को लेकर सब चलते हैं।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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