हीन मानसिकता के कारण 8 साल बाद भी पहुंच पथ से कोसों दूर है अब भी वीरपुर का ये विधालय
विधालय के बच्चों को पहुंच पथ नहीं रहने से पानी और किचर से भरे रास्तों से होकर शिक्षा के अधिकार नियमों के तहत गिरते पड़ते जाना आना पड़ता है।
डीएनबी भारत डेस्क
जब पदाधिकारियों और जंनप्रतिनिधीयों का मिजाज किसी भी गांव या संस्था को बेहतर बनाने के लिए जागृत होती है तो असंभव काम भी संभव हो जाया करता है।तो ग्रामीणों के द्वारा जंनप्रतिनिधीयों और पदाधिकारियों को लोग श्रद्धा भाव से देखते ही नहीं हैं वीरपुर में तो वैसे पदाधिकारियों या जंनप्रतिनिधीयों को लोग समय समय पर समारोह पूर्वक संम्मान और विदाई समारोह भी आयोजित किया करते हैं।
लेकिन वीरपुर पश्चिम पंचायत में एक ऐसा भी नवीन प्राथमिक विद्यालय गाछी टोल है जिसे बने तो आठ साल हो गए हैं 8 साल बाद भी इस विधालय के बच्चों को पहुंच पथ नहीं रहने से पानी और किचर से भरे रास्तों से होकर शिक्षा के अधिकार नियमों के तहत गिरते पड़ते जाना आना पड़ता है जो किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक तो है ही। साथ में पदाधिकारियों और जंनप्रतिनिधीयों के भी हिंन मानसिकता को भी उजागर करती है।
इस संबंध में शुक्रवार 22 सितंबर को विधालय के प्रधानाध्यापक मिथलेश कुमार ने बताया कि विधालय के लिए भूमि दान कर्ता सायद यह सोचकर जमीन दान किए होंगे कि यहां के बच्चे पढ़-लिख कर एक सभ्य नागरिक बनेंगे।वर्ष 2015 के अक्टूबर में विधालय बनकर तैयार हो गया और छात्रों सहित शिक्षक नव निर्मित विधालय में आ गए। तब से अब तक में कई बार पहुंच पथ के लिए प्रयास तो किया गया परन्तु सभी बार असफल रहे। पहुंच पथ नहीं रहने से रोज दर्जनों बच्चे किचर में गिरते हैं। जिससे बच्चों के ड्रेस,किताब,काँपी कलम बर्बाद हो जा रहे हैं।
इस संबंध में दर्जनों ग्रामीण ने बताया कि स्थानीय स्तर पर कुछ जंनप्रतिनिधीयों और शिक्षकों ने तो समय समय पर पहल तो किया लेकिन कहीं ना कहीं इस गंभीर समस्या को लेकर जंनप्रतिनिधीयों और पदाधिकारियों का भी मानसिकता ठीक नहीं लगता है।
इस संबंध में मुखिया त्रिपुरारी सिंह उर्फ भेंटरु ने बताया कि जब से हम मुखिया बने हैं तब से दो बार उक्त विधालय के पहुंच पथ के लिए प्रयास किया है। उन्होंने कहा आगामी 27 सितंबर को पंचायत समिति सदस्यों की बैठक आहूत है जिसमें इस ज्वलंत समस्याओं को समाधान हेतु मौजूद जंनप्रतिनिधीयों, पदाधिकारियों के सामने रखने जा रहा हूं।
बेगूसराय वीरपुर संवाददाता गोपल्लव झा की रिपोर्ट