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सीएचसी खोदावंदपुर से चिकित्सक गायब, सीएस ने फोन पर किया रोगी का इलाज

DNB Bharat Desk

डीएनबी भारत डेस्क 

बिहार में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए नीतीश सरकार हॉस्पिटल को आवश्यक संसाधनों से सुसज्जित कर रही है। चिकित्सक स्वास्थ्यकर्मी की बहाली की जा रही है और प्रदेश की अवाम को मुफ्त में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की वादा करती है। इसी कड़ी में सदर अस्पताल बेगूसराय को प्रदेश का सर्वोत्तम अस्पताल होने का खिताब भी मिला है। लेकिन बेगूसराय जिला के जमीनी स्तर पर स्थिति सच्चाई से कोसो दूर है। इसी का एक नमूना सोमवार की सुबह देखने को मिला जहां अस्पताल से ऑन ड्यूटी से चिकित्सक गायब थे

क्या है माजरा
सोमवार सुबह करीब सात बजे मेघौल गांव के वार्ड पांच निवासी नितेश कुमार की फुआ 70 वर्षीय मंजू कुमारी सिर में चक्कर उल्टी और दस्त से परेशान होकर इलाज के लिए सीएचसी पहुंचती है जहां एक भी चिकित्सक मौजूद नही थे। हॉस्पिटल में ड्यूटी पर मौजूद सिर्फ दो नर्से थी, जिसमे जीएनएम बच्ची देवी और एएनएम प्रमिला कुमारी मौजूद थी। उनदोनो ने बताया कि ड्यूटी डॉ बरकतउल्ला सर का है वो नही हैं। बीपी सामान्य था लेकिन रोगी सिर के चक्कर से परेशान थी।

तत्क्षण रोगी के स्वजनों द्वारा डॉक्टर नही रहने की जानकारी मोबाइल से सिविल सर्जन को दी गई, तो तत्काल उन्होंने फोन पर ही रोग के लक्षण के आधार पर दवा की जानकारी दी और फिर उन्होंने कहा कि तत्काल आप चेरियाबरियारपुर अस्पताल जाकर वहां मौजूद डॉ अजित कुमार से दिखवा लें। खोदावंदपुर के चिकित्सक को तो मैं देखता हूँ आप इस आशय का एक लिखित आवेदन दें। फिर क्या था पूरे खोदावंदपुर हॉस्पिटल में हड़कंप मच गया। सीएस डॉ प्रमोद कुमार ने तत्क्षण प्रभारी डॉ दिलीप कुमार जो दलसिंहसराय में थे उनका क्लास लगाया। सीएस ने कहा मैं अभी विजिट को आ रहा हूँ। नौ बजते बजते स्वास्थ्यकर्मियों का हॉस्पिटल आना शुरू हो गया।

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पहले डॉ बरकतउल्ला फिर डॉ के के झा, फिर डॉ दिलीप कुमार सब के सब हॉस्पिटल पहुंच गए। डॉ बरकतउल्ला ने उस महिला का इलाज किया। फिर महिला स्वस्थ होकर घर गयी। खोदावंदपुर के स्थानीय लोगो ने सीएचसी के बदतर हालात के लिए वर्तमान प्रभारी डॉ दिलीप कुमार को जिम्मेदार बताया है। उनलोगों ने कहा कि प्रभारी के ढुलमुल नीति के कारण रात में तो हॉस्पिटल में रहते ही नही हैं। इतना ही नही यहां के चिकित्सक रोगी को हॉस्पिटल में इलाज न कर रोसड़ा, सूर्या हॉस्पिटल मेघौल, चलकी, दौलतपुर अन्य जगहों पर स्थापित झोला छाप क्लिनिक पर ले जाकर रोगी का इलाज करते हैं। मनमाना पैसा वसूल करते हैं और यहाँ खोदावंदपुर सीएचसी में सन्नाटा पसरा रहता है।

अस्पताल आने वाला रोगी इतने बड़ा संसाधन रहने के बाद भी यहां से वैरंग लौट जाता है अथवा अपने भाग्य भरोसे रहता हैं। हालात यही रहा तो यहां कभी भी जनाक्रोश भड़क सकता है और भविष्य में किसी अप्रिय वारदात से इनकार नही किया जा सकता। स्थानीय लोगों ने सिविल सर्जन बेगूसराय से सीएचसी खोदावंदपुर की बदतर हालात पर कठोर निर्णय लेने का मांग किया है।ताकि यह हॉस्पिटल जनता के विश्वास और बिहार सरकार के आशा और उम्मीद पर खड़ा उतर सके।

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