सत्य ही सनातन हैं और सनातन ही सत्य हैं, सनातन का न कोई आरंभ हैं और न हीं अंत हैं- सत्यनारायण मिश्र सत्य

सत्य ही सनातन हैं और सनातन ही सत्य हैं, सनातन का न कोई आरंभ हैं और न हीं अंत हैं- सत्यनारायण मिश्र सत्य। भारत में समय-समय पर महापुरुषों, अवतारों के माध्यम से धर्म की व्याख्या और धर्म की स्थापना का कार्य किया है- श्याम किशोर सहाय। स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान सर्वमंगला सिद्धाश्रम सिमरिया धाम में सनातन धर्म का वैश्विक अवदान विषय पर आयोजित 

 

डीएनबी भारत डेस्क 

त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन शुक्रवार को मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट के बच्चों द्वारा स्वागत गान एवं जय जय भैरवी भगवती गंगे, पशुपति भामिनी माता ऐसी कई सुप्रसिद्ध सुमनोहर भजनों का प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। कार्यक्रम में शिक्षिका निशु, रुपाली, कशिश, छात्रा अनुराधा, जिज्ञासा, पुष्पांजलि, सुहानी सहित अन्य कलाकारों ने मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट के निदेशक सह प्राचार्य अशोक पासवान के नेतृत्व में कला की प्रस्तुति दिया। वहीं इससे पूर्व समारोह का शुभारंभ आचार्य नारायण झा के स्वस्तिवाचन से हुआ । वहीं

पंडित सत्यनारायण मिश्र सत्य, लोकसभा संपादक श्याम किशोर सहाय, कथावाचक हरिवंश जी महाराज, राजकिशोर सिंह, उषा रानी, विजय कुमार झा के कर कमलों से ज्ञानदीप प्रज्वलित कर किया गया। वहीं सिमारियाधाम द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन के संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि सह श्रीरामचरित मानस प्रचार संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ पंडित सत्य नारायण मिश्र सत्य ने कहा कि सत्य ही सनातन हैं और सनातन ही सत्य हैं।

सनातन का न कोई आरंभ हैं और न हीं अंत हैं। सृष्टि के आरंभ से भी पूर्व से सनातन हैं और सृष्टि के समापन के बाद भी सनातन रहेगा। सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन ही सनातन हैं। समारोह में मुख्य अतिथि लोकसभा टी भी के सम्पादक श्याम किशोर सहाय ने कहा कि धर्म की धरती मिथिला हैं।भारत में समय-समय पर महापुरुषों, अवतारों के माध्यम से धर्म की व्याख्या और धर्म की स्थापना का कार्य किया है। सम्पूर्ण विश्व के मार्गदर्शक के रूप में भारत का स्थान है तो भारत की विशिष्टता को बताने के लिए मिथिला की धरती हैं।

समारोह में विशिष्ट अतिथि कथावाचक हरिवंश जी ने कहा कि देवशयनी एकादशी के बाद सृष्टि का पालन महादेव करते हैं, गुरुदेव का निवास काशी हो जाता हैं, गुरुदेव का चरणोदक भगवती गंगा बन जाती हैं, स्वयं विश्वनाथ अर्थात महादेव सम्पूर्ण विश्व का कल्याण गुरु रुप में करते हैं। वहीं आगत अतिथियों का स्वागत संस्था के सचिव दिनेश प्रसाद सिंह, कोषाध्यक्ष नवीन कुमार सिंह, तथा नृपेन्द्र सिंह ने मिथिला परम्परा के अनुसार पाग चादर और पुष्पहार से सम्मानित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन डॉ घनश्याम झा ने किया। वहीं कार्यक्रम में विषय प्रवेश प्रो अवधेश झा ने कराया। वहीं कार्यक्रम में महाकुम्भ के सफल आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने एवं महती भूमिका निर्वहन करने के लिए संकल्प सिद्धी सम्मान से छः लोगों को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में अभियंता सुरेश्वर पोद्दार सहरसा, पंडित विजय मिश्र बक्सर, मिथलेश पांडेय राजगीर, सुशांत चंद्र मिश्र दलसिंहसराय, सुरेश पासवान भगवानपुर, प्रभात कुमार झा बछवाड़ा शामिल हैं।

दूसरी ओर कार्यक्रम में मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट के निदेशक सह प्राचार्य अशोक पासवान, शिक्षिका निशु, रुपाली, कशिश, छात्रा अनुराधा, जिज्ञासा, पुष्पांजलि, सुहानी सहित सभी को प्रातः स्मरणीय परम पूज्य गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज द्वारा विद्या सामाग्री भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ ए के दास, डॉ विजय कुमार झा, सत्यानंद जी महाराज, प्रो पी के झा प्रेम, श्याम सनातन,राम भारद्वाज, लक्ष्मण जी, रमेश मिश्रा, राधे श्याम चौधरी, अरविंद चौधरी, नृपेन्द्र सिंह, नवीन कुमार सिंह, राज किशोर सिंह, ऊषा रानी, कौशल जी, बबलू जी, सदानंद जी, मिंटू झा आदि उपस्थित थे।

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