तीसरी सरकार बनाकर पीएम नरेंद्र मोदी का पहला बिहार दौरा कल, नालंदा यूनिवर्सिटी कैंपस का करेगे उद्घाटन

 

नालंदा खंडहर का भी करेगे भ्रमण,पीएम के आने को लेकर तैयारी हुई पूरी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम

डीएनबी भारत डेस्क

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार का मशहूर ऐतिहासिक विश्वविद्यालय है। यहां तकरीबन 1600 साल पहले देश-दुनिया के लोग शिक्षा लेने के लिए आते थे। साल 216 में नालंदा को यूनाइटेड नेशन ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल यानी 19 जून को सुबह 9.45 बजे नालंदा के खंडहरों का दौरा करेंगे जिसके बाद विश्वविद्यालय परिसर का औपचारिक उद्घाटन करेंगे।उसके बाद पीएम नालंदा खंडहर जाकर नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन इतिहास से भी रूबरू होंगे।उनके भ्रमण को लेकर अभी से नालंदा खंडहर को बंद कर दिया गया है।

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यह विश्वविद्यालय भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन देशों के बीच हुए सहयोग के तहत विकसित किया गया है। विज्ञप्ति में बताया गया है कि 17 देशों के मिशन प्रमुख इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नरेंद्र मोदी के साथ शामिल होंगे।परिसर को परंपरागत और आधुनिक कला के मिश्रण से बनाया जा रहा है। परिसर का कुल क्षेत्रफल 455 एकड़ है।

इसके 100 एकड़ में तमाम तरह के जलाशय फैले हुए हैं। इसलिए इस परिसर को कार्बन न्यूट्रल बताया जा रहा है। इस कारण इस कैंपस परिसर की खूब तारीफें हो रही हैं।कैंपस के निर्माण का काम साल 2017 से चल रहा है। हालांकि इसका पहला शैक्षणिक सत्र सितंबर 2014 में बौद्ध तीर्थ नगरी राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय कंवेशन सेंटर में शुरू हुआ था। उस समय इसका उद्धाटन विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने किया था। इस परिसर को भारत सरकार की महत्वपूर्ण विदेश नीति ‘पूर्व की ओर देखो’ का अहम हिस्सा माना जा रहा है।

चूंकि यहां देश-दुनिया के लोग पढ़ने-लिखने आएंगे तो इसकी अंतर्राष्ट्रीय छवि बनना स्वाभाविक है। यहां पढ़ने-पढ़ाने के लिए देश-दुनिया से छात्र और अध्यापक आएंगें। इसके लिए कैंपस में तमाम तरह की आधारभूत संरचनाओं के विकास पर ध्यान दिया गया है। कैंपस में दो शैक्षणिक खंड हैं, इनमें 40 कक्षाएं शामिल हैं। 300-300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार हैं। लगभग 550 छात्रों के रहने के लिए छात्रावास की भी व्यवस्था की गई है ताकि पढ़ने के साथ-साथ सुरक्षित आवास भी मुहैया कराया जा सके।

डीएनबी भारत डेस्क

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