राम के नाम से बसे रघुनंदनपुर में है हर्ष का माहौल, अयोध्या से है यह कनेक्शन
डीएनबी भारत डेस्क
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जहां पूरे देश में उत्सवी माहौल है वहीं भगवान श्री राम के नाम से बसे भगवानपुर प्रखण्ड के रघुनंदनपुर गांव में भी काफी हर्ष भक्ति का माहौल है। इस गांव में आज भी मंदिरों के घंटे की आवाज सुनने के बाद ही लोग अन्न ग्रहण करते हैं। भगवान श्री राम की संध्या आरती में गाँव के लोग एक साथ मिलकर भगवान की स्तुति करते हैं।
रघुनंदनपुर गांव का नाम कैसे पड़ा इसके पीछे भी कहानी है। लोगों का कहना है कि भगवान श्री राम रूके थे इस गाँव में। मिथिला में एक रिवाज है कि अपनी लाडली की शादी के बाद विदाई के समय पांव पखारा जाता है जो परंपरा अभी भी विद्यमान है। कहा जाता है की विदाई के समय अपने घर के सीमा के बाद बेटी की पांव पखार कर विदाई की जाती है। पुरानी रस्म है कि जब अपने घर के आगे सड़क पर जहाँ विदाई के लिये गाड़ी लगी रहती है वहाँ भाई हाथ में लोटा लेकर जाता है और घर के किसी सदस्य के द्वारा पैर पखार कर विदाई की जाती है। इसी प्रकार जगत जननी माँ सीता के विवाह के उपरांत मिथिला के सीमा स्थल सिमरिया में सीता का पैर पखार कर विदाई की गयी थी।
कहा जाता है कि पहले राजा की सवारी निकलने के पहले रास्ता बनाया जाता था और रास्ते में पानी के लिए बाउरी, कुआँ का निर्माण कराया जाता था और कुएँ के निकट जत्था विश्राम करता था। ऐसी मान्यता है कि राजा राम और सीता के जनकपुर से सिमरिया आने के दौरान भगवान श्री राम का पड़ाव रघुनन्दनपुर में हुआ था जिसका प्रमाण आज भी एक मीठे पानी का कुआँ के रूप में विद्यमान है। इस कुएँ के निर्माण के बारे में गाँव के बड़े बुजुर्ग भी नही बता पा रहे है कि कब और किसके द्वारा इस कुआँ को खुदवाया गया है। इस कुएँ का पानी की गांव के अन्य सभी कुएँ के पानी से अधिक अच्छा है। इस कुआँ की मरम्मती के दौरान जो ईंट निकला था वो अपने आप में खास था। देखने में यह ईंट प्राचीन राजा महाराजा के महल की ईंट से मेल खाता है।
लोगों का कहना है कि भगवान राम का यहाँ पड़ाव हुआ था इसी कारण इस गाँव का नाम रघुनंदनपुर पड़ा। कहा जाता है कि गाँव बसने के पहले यहाँ जंगल था इसी जंगल में यह कुआँ मिला था और पूरे रघुनन्दनपुर गाँव इसी कुआँ के आसपास बस गया। इसी कुआँ के निकट एक प्राचीन बरगद का पेड़ है उस पेड़ की आयु भी कोई नही बताते। यहाँ के तीन चार पीढी के लोग बताते है जबसे पैदा हुए इस पेड़ को वैसे ही देख रहे है।
सभी देवी देवता का मंदिर है रघुनन्दनपुर गांव में
रघुनन्दनपुर गांव मे दो ठाकुरवाड़ी है जहा सुबह घंटे की आवाज के साथ भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। वहीं भैरव बाबा मंदिर कुल देवता के रूप मे विख्यात हैं जहाँ लोगो की मांगी गई मन्नत पूरी होती है। काली मंदिर भगवत्ती मंदिर, शिव मंदिर चित्रगुप्त मंदिर के देवताओ का स्थान थान के रूप में है जहाँ लोग पूजा अर्चना करते है।
अयोध्या से जुड़ा है इस गांव का संबंध
अयोध्या हनुमान गढी के के तीन पट्टी के तीन मुख्य महंत श्यामसुंदर दास, सियाराम दास और भागवत दास रघुनन्दनपुर गाँव के ही थे। रघुनन्दनपुर गाँव में लोगों की जीविका का मुख्य साधन खेती और पशुपालन है। सरकारी नौकरी में भी लोग कार्य कर रहे हैं। यहाँ डाक्टर, इन्जीनियर के आलावे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित राजेश चौधरी, लोक गायक सच्चिदानंद पाठक जैसे लोगों का निवास स्थान है।
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