मृत्यु के भय से मुक्ति देती है रामचरित मानस – कथावाचक आचार्य गुप्तेश्वर पांडेय

भक्तिभाव माहौल से सराबोर है सिमरिया गामवासी, उत्सवी माहौल में रामकथा एवं आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच चल रहा 09 दिवसीय सहस्र चंडी महायज्ञ ।

भक्तिभाव माहौल से सराबोर है सिमरिया गामवासी, उत्सवी माहौल में रामकथा एवं आध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच चल रहा 09 दिवसीय सहस्र चंडी महायज्ञ ।

डीएनबी भारत डेस्क 

मृत्यु के भय से मुक्ति देती है रामचरित मानस। इसके आश्रय से मृत्यु के भय से मनुष्य को मुक्ति मिलती है। मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों में सबसे श्रेष्ठ है। भगवान ने सबों को बुद्धि दी है। तमो गुणी चेतना वाले मनुष्य व पशु में कोई अंतर नहीं होता। रजो गुणी वाले मनुष्य में अनंत कामनाएं व प्रचंड अहंकार होता है। धन मिलने से कोई सुखी नहीं हो सकता।

कथा को आगे बढ़ाते हुए कथावाचक आचार्य गुप्तेश्वर पांडेय महराज ने कहा ऐसे अधम जीवों के कल्याण के लिए भी तुलसी दास ने रामचरित मानस में मार्ग प्रशस्त किया है। जबतक पूरा चित्त शुद्धि नहीं होगा तबतक ज्ञान मार्ग में प्रवेश करना कठिन है। तुलसीदास ने बताया कि राम के नाम को गाकर हम अपने परम लक्ष्य को पा सकते हैं। रामकथा सुनने से मनुष्य के हृदय में निश्चित रूप से गोविदं प्रकट होते हैं।

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सती को शिव ने कहा कि हमें न्योता नहीं मिला है फिर सती अकेले नैहर पहुंचती है जहां राज दक्ष द्वारा भगवान शिव के अपमान को सहन नहीं कर पाती है और सती यज्ञ हवन कुंड में कूद कर जान देती है। इस प्रसंग में कहा कि स्त्रियों के लिए पति से बढ़कर दूसरा कोई भगवान नहीं होता। तभी नारद जी ने यह संवाद महादेव तक पहुंचाया। शिव ने क्रोधित होकर यज्ञ में विध्न पैदा करने के लिए भूत प्रेतों को भेजा।

देवताओं ने त्राहिमाम करते ब्रह्मा से मिले और ब्रह्मा भगवान भोले शंकर को मनाने कैलाश पहुंचे। भगवान शिव से अपमान का बदला लेने के लिए राजा दक्ष ने यज्ञ का अनुष्ठान किया है। कथा को श्रद्धा से नहीं सुनना बड़ा पाप है। कथा के बीच में उठ जाना महापाप है। शिव विवाह की चर्चा करते हुए उन्होंने पश्चिमी संस्कृति पर हमला करते हुए कहा लीव इन रिलेशन शिप का हर सनातनी को जमकर विरोध करना चाहिए। जब तक वैदिक धर्म से विवाह ना हो तबतक पुरूष को स्पर्श करना महापाप है।

शिव विवाह के प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि सती का अगला जन्म हिमाचल के घर में पार्वती के रूप में हुआ। नारदजी ने हिमाचल के घर पहुंचकर भगवान शिव से पार्वती के विवाह की भविष्यवाणी की फिर शिव व पार्वती का विवाह धूमधाम से संपन्न हुआ। वहीं देर रात वृंदावन की टीम ने कृष्ण के रास के अलावे मीरा की भक्ति के विहंगम दृश्य को प्रस्तुत किया। विदित हो कि सहस्र चंडी महायज्ञ का समापन 15 मई को होगा।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के संयोजक राजेश कुमार सिंह ने कहा कि आज मुंबई से भजन सम्राट अनूप जलोटा सिमरिया आएंगे और सांस्कृतिक मंच पर भजन प्रस्तुत करेंगे। इसके लिए समिति ने पूरी तैयारी कर ली है। वहीं 15 मई को मशहूर भजन गायिका तृप्ति शाक्या के भजन का श्रद्धालु आनंद उठा सकेंगे।सुरक्षा व्यवस्था प्रभारी दीनबंधु कुमार ने बताया कि जिला प्रशासन के अलावे गांव व आसपास के लगभग डेढ़ सौ से अधिक स्वयंसेवक यज्ञ के दौरान तैनात हैं।

वहीं जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है। मेला परिसर में एडवांस न्यूरो हॉस्पीटल पटना द्वारा मुफ्त चिकित्सा शिविर व दिनकर पुस्तकालय का स्टॉल लगाया गया है। श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए मीना बाजार, मौत का कुआं व कई प्रकार के झूले का इंतजाम किया गया है।

मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष शंभु प्रसाद सिंह, रामचंद्र सिंह, पूर्व मुखिया कृष्ण कुमार शर्मा, शिवकुमार सिंह नेता, कृष्णनंदन कुमार, अमरपुर के मुखिया सच्चिदानंद सिंह, मुखिया प्रतिनिधि गोपाल कुमार, सरपंच प्रतिनिधि विपिन कुमार सिंह, मनीष कुमार, सुबोध प्रसाद सिंह, जयकांत राय, अनिल कुमार शर्मा, सिमरिया दो के पैक्स अध्यक्ष रामानुज राय समेत यज्ञ संचालन समिति के कई गणमान्य सदस्य एवं ग्रामीण मौजूद थे।

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