हम अपने अतीत के गौरव को फिर से प्राप्त करें यही सिमरिया महाकुंभ की सार्थकता है – चिदात्मन जी महाराज
डीएनबी भारत डेस्क
गंगा के उत्तर वाहिनी पावन तट पर सर चढ़ती सूर्य की किरणों के बीच साधु- संत, शासन और समाज की उपस्थिति में सिमरिया कुंभ का आगाज किया गया। सिमरिया कुंभ 2023 का ध्वजारोहण पांच अखाड़ा के निशान साथ किया गया। इस अवसर पर पूरे देश भर से पधारे साधु, संतों महात्माओं, नागाओं के द्वारा धर्म ध्वज की जय घोष के साथ ध्वजारोहण किया गया। सवर्प्रथम कुंभ ध्वज हमारे सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु, इन्द्र ध्वज सम्पूर्ण सुरक्षा हेतु, हनुमंत ध्वज ज्ञान प्रतिष्ठा हेतु तथा राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीयता के प्रबल समर्थन के प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया। हजारों लोगों की उपस्थिति में पुष्प वर्षा के साथ ढोल, नगाड़े और बाजे के साथ किया गया।
जब देश के संतों, महापुरुषों और समाज के लोगों ने सिमरिया कुंभ को स्वीकार कर लिया तो उसमें प्रशासन की स्वीकृति बहुत जरूरी नहीं रह जाती है। अब शासन- प्रशासन का काम है कि कुंभ को ध्यान में रखकर वो सिमरिया महा कुंभ में व्यवस्था करें। यह बातें कुंभ सेवा समिति, सिमरिया धाम द्वारा आयोजित सिमरिया कुंभ 2023 के धर्म मंच का दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन करते हुए अयोध्या पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी जी श्री वल्लभाचार्य जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि हरिद्वार नासिक, उज्जैन, प्रयागराज का कुंभ महापूर्ण है लेकिन सिमरिया का कुंभ महाकुंभ है। इस भूमि पर आज हम सब का कुल पवित्र हो गया है सभी संत धन्य हो गए हैं। बहुत दिनों तक तीर्थ का सेवन किया जाए तो फल मिलता है, लेकिन संतों के एक साथ समागम से तुरंत फल मिलता है। अनंत जन्मों में पुण्य का यह संयोग है कि सभी संतों आगमन एक साथ सिमरिया की इस कुंभस्थली पर हुआ है।
श्री वल्लभाचार्य जी ने कहा कि जो भगवान को धारण करें उसे धाम कहते हैं। यह उदार मिथिला की भूमि है। अयोध्या के लोग देने नहीं आते हैं बल्कि मिथिला ही देने में अग्रणी है। उन्होंने इस संबंध में शासन से प्रशासन से आग्रह किया कि जिस तरह की व्यवस्था तीर्थराज, प्रयाग, नासिक और उज्जैन में की जाती है वैसी व्यवस्था सिमरिया धाम में भी हो ताकि संत समाज के लोग आराम से यहां सिमरिया महाकुंभ में शामिल हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए शासन प्रशासन मंत्री विधायक और आमजन सबको लगना होगा।
वहीं श्री महंत अनी एवं कुंभ के अनी अखाड़ा के संयोजक श्री धर्मदास जी महाराज ने कहा कि जहां जगत जननी माता जानकी जी हैं वहां कुंभ ही कुंभ है। स्वामी चिदात्मन जी महाराज के इस अथक प्रयास से यहां कुंभ लगा और उसके बाद साधु, संत समाज ने इसकी अपनी स्वीकृति दी है। इसलिए यहां आने वाले समय में वृहत कुंभ लगेगा। यहां सारी संभवानाएं हैं। काशी, उज्जैन, प्रयाग की तरह यहां भी महाकुंभ होगा और आने वाले समय में चार कुंभ की तरह ही यहां भी कुंभ का समान स्नान लाभ मिलेगा।
अयोध्या हनुमान गढ़ी से पधारे दिलीप दास जी महाराज ने कहा कि जिस जगत जननी माता जानकी को किसी मां की कोख में धारण करने की क्षमता नहीं थी, उसे केवल मिथिला की धरती ने ही किया और जगत जननी मां सीता का जन्म हुआ। महाराज ने कहा की प्रभु श्री राम का जन्म माता कौशल्या के गर्भ से हुआ लेकिन जगत जननी का जन्म मिथिला की भूमि से हुआ। कहा कि सिमरिया की धरती तीर्थ है और यह इसी रूप में आगे बढ़ता रहेगा। कुंभ के संदर्भ में कहा कि आप चलते रहिए, यह प्रयास जारी रहे.. चैरेवति..चैरेवति।
वहीं अयोध्या के सन्त महंत राजू दास जी महाराज ने कहा कि आपका प्रयास जारी रहे और हम हनुमानगढ़ी के लोग आपके साथ हैं। कहा कि बिहार की यह धरती पावन हैं, यहां के रहने वाले लोगों का हृदय विशाल है। साथ ही उन्होंने कहा कि आपको अपने हक के लिए लड़ना होगा। संत सेवा करते हैं उनके पास भजन है, माला है आरती है इसलिए उनके हथियार आप बनें और सनातन धर्म की रक्षा के लिए आप आगे आएं।
महामंडलेश्वर फतेहा महंत राम सुमिरन दास जी महाराज ने कहा कि यह कुंभ स्थली अनादि काल से है। कालचक्र के कारण यह धुंध में चला गया था लेकिन अब यहां पर सदैव कुंभ चलता रहेगा और आने वाले समय में यह देश में सर्वाधिक चर्चित कुंभ के रूप में जाना जाएगा। इस अवसर पर सर्वमंगला आध्यत्म योग विद्यापीठ के स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि मनुष्य के जन्म जन्मांतर का फल है सिमरिया महाकुंभ। मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो सोचता है, विचारता है। इसी सोच पर सिमरिया शरीर, शास्त्र और समुद्र मंथन से अनादि काल से विश्व में मार्ग दिखाने वाले या सनातन की भूमि है। कहा कि भगवान राम ने शास्त्र की रक्षा की है आज हमें अपने सनातन धर्म की रक्षा करनी होगी। हम अपने अतीत के गौरव को फिर से प्राप्त करें यही सिमरिया महाकुंभ की सार्थकता है। वहीं कुंभ सेवा समिति के सभी सदस्यों, महासचिव सह पूर्व विधान पार्षद रजनीश कुमार के संचालन, विश्वरमन कुमार सिंह के संयोजन और डॉ नलिनी रंजन सिंह की अध्यक्षता में ध्वजारोहण सह उदघाटन समारोह अपनी भव्यता की पराकाष्ठा पर था। हजारों लोग संत समाज की जय, भारत माता की जय, जय श्रीराम, गंगा मैया की जयकारा लगाकर अपने को धन्य पा रहे थे।
इस मौके पर भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री सह सांसद गिरिराज सिंह, नगर विधायक कुंदन कुमार, मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह, बछवाड़ा विधायक सुरेंद्र मेहता, विधान पार्षद सर्वेश कुमार, ब्रह्मकुमारी प्रजापति की कंचन दीदी, संस्कृत महाविद्यालय बेगूसराय के प्राचार्य पंडित विश्वनाथ मिश्र सहित अन्य का सम्मान अंगवस्त्र से किया गया। इस अवसर पर धर्म मंच से महामंडलेश्वर पातेपुर श्रीकांत दास जी, महंत शिवराम दास जी, सूजा मठ महंत शंकर दास जी, महामंडलेश्वर महंत रामसेवक दास जी, महंत गोपाल दास जी, मुक्तिधाम पोखराम के महंत रामशंकर दास जी, अयोध्या के महंत राजू दास जी, उज्जैनिया पट्टी अयोध्या के मठ नंदराम दास जी, राजेश पहलवान, महंत मामा दास जी गद्दी नसीन प्रेमदास जी महाराज, बिहार केसरी अयोध्या के महंत रामदास, महंत, रामसुंदर दास जी, महंत उपेंद्र दास जी, महंत सियाराम दास जी, महंत रामकुमार दास जी, सूरजभान दास, रिंकू दास, पंचगामा के महंत बजरंगी दास, बिजुलिया के महंत मुरारी दास सहित अन्य ने संबोधित किया।
इस अवसर पर आगत अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र और माला से कुंभ सेवा समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। जिसमें अध्यक्ष डॉ नलिनी रंजन सिंह, संयोजक विश्व रमन कुमार सिंह, उपाध्यक्ष सह एसएनआर कॉलेज चमथा के प्राचार्य प्रोफेसर अशोक कुमार अमर, उपाध्यक्ष डॉ रामप्रवेश प्रसाद, उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार सिंह, उपाध्यक्ष पूर्व एमएलसी भूमिपाल राय, सचिव बलराम प्रसाद सिंह, उमेश मिश्रा, रामाशीष सिंह, कुमार भवेश, विकास कुमार, आभा सिंह, कोषाध्यक्ष डॉ शशि भूषण प्रसाद सिंह, ट्रस्टी विश्व रंजन कुमार सिंह राजू, नीरज कुमार, मीडिया प्रभारी शुभम कुमार द्वारा किया गया।
बेगूसराय से धर्मवीर कुमार