दिनकर ने अपने दिन गुजारे वहां पर उनके नाम पर शोध संस्थान की भी स्थापना होना चाहिए-उमेश कांत चौधरी
सिमरिया धाम राम जानकी गंगा तट पर सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ मेला शिविर में आयोजित त्रिदिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिन दिनकर स्मृति दिवस समारोह आयोजित
डीएनबी भारत डेस्क
पवित्र देवोत्थान एकादशी के शुभ अवसर पर सिमरिया धाम राम जानकी गंगा तट पर सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ मेला शिविर में आयोजित त्रिदिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिन दिनकर स्मृति दिवस समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि आज देश को ज्ञान अर्जन के लिए कलम और संस्कृति की रक्षा के लिए तलवार की भी जरूरत है। दिनकर ने अपने विभिन्न रचनाओं में भारतीय संस्कृति को बचाए रखने पर बल दिया था।और आज भारतीय संस्कृति पर चहुं ओर से खतरा मंडरा रहा है। अतः हमारी संस्कृति सुरक्षित भी रहे, ताकत के रूप में तलवार की भी जरूरत होगी।
डॉ चौधरी ने कहा कि जहां दिनकर ने अपने दिन गुजारे वहां पर उनके नाम पर शोध संस्थान की भी स्थापना होना चाहिए। जहां उनके समग्र साहित्य पर खोज और अनुसंधान निरन्तर चलते रहना चाहिए। दिनकर ने हमें वो अमूल्य साहित्य दिया है,जो हमें हमारे संस्कृति पर गर्व करने लायक बनाया है। इसीलिए उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया जाना चाहिए। समारोह में विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राचार्य नंद किशोर सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब तक संसार है तब तक जब भी और जहां भी सिमरिया धाम की चर्चा होगी,दिनकर का भी नाम लिया ही जाएगा।और जहां भी दिनकर की चर्चा होगी वहां सिमरिया धाम का भी चर्चा होगी ही। दोनों एक दूसरे के पर्याय माने जाने हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ जनार्दन चौधरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रयोगशाला हैं मिथिला।और दिनकर को पाकर मिथिला धन्य हो गया।हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि दिनकर हमारे है,जो विश्व को अमूल्य साहित्य से समृद्ध बनाया। विशिष्ट अतिथि धनंजय श्रोत्रिय ने कहा कि दिनकर एकमात्र एैसे साहित्यकार हुए जो अपने जीवन काल में सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त किया। जो भी बिहार को जानता हैं वो दिनकर को भी जानेगा ही,और दिनकर को जानता हैं,वो बिहार को भी जानेगा ही।अति विशिष्ट अतिथि लोकसभा टीवी के एडीटर श्याम किशोर सहाय ने अपने उद्बोधन में कहा कि दिनकर के अनेकों साहित्य में एक संस्कृति के चार अध्याय ही अनेकों साहित्यकारों के अनेकों साहित्य पर भारी पड़ जाएगा।
ऐसे बिरले साहित्यकार सदियों में एकाध ही अवतरित होते हैं। सम्मानित अतिथि द्वय डॉ महेश राय ने कहा कि दिनकर विश्वकवि हैं,एक न एक दिन इसी गंगा तट पर दिनकर विश्वविद्यालय बनेगा ही। पूर्व प्राचार्य डॉ राम सिंह किंकर ने कहा कि गुरु की कृपा से साक्षात् भगवान का दर्शन प्राप्त होता हैं,और दिनकर ने सत्कर्म की प्रेरणा से भरा पुरा साहित्य हम सबों को दिया है, अतः उन्हें राष्ट्र कवि नहीं विश्व कवि कहना चाहिए।
दिनकर स्मृति दिवस समारोह को पूर्व उप निदेशक, बिहार सरकार डॉ उमेश कांत चौधरी वरिष्ठ पत्रकार सह साहित्यकार धनंजय श्रोत्रिय, पूर्व प्राचार्य डॉ राम किंकर सिंह,नंद किशोर सिंह,उप प्राचार्य डॉ महेश राय, साहित्यकार डॉ जनार्दन चौधरी, सर्वमंगला के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, सचिव दिनेश प्रसाद सिंह,वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ विजय कुमार झा, सचिव सुधीर चौधरी,सह सचिव प्रो पी के झा प्रेम ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन किया।उससे पूर्व पंडित पद्मनाभ ने स्वस्ति वाचन किया।
तत्पश्चात आगत अतिथियों को अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी तथा सचिव दिनेश प्रसाद सिंह ने मिथिला परम्परा के अनुसार पाग चादर और पुष्पहार भेंट कर सम्मानित किया। तथा सह सचिव प्रो प्रेम ने सभी अतिथियों को संस्थान का साहित्य भेंट किया। समारोह में आगत अतिथियों को संस्थान के निदेशक डॉ विजय कुमार झा ने स्वागत किया। समारोह का संचालन सचिव सुधीर चौधरी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सह सचिव प्रो प्रेम ने किया।
इस अवसर पर सर्वमंगला परिवार तथा अनुसंधान संस्थान सिमरिया धाम के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों के अतिरिक्त, सर्वमंगला पीठाधीश्वर समिति के अध्यक्ष शुलभानंद स्वामी,मिडिया प्रभारी नीलमणि,सुशील चौधरी, नवीन कुमार सिंह, पप्पू त्यागी,कौशल जी,अमर जी,विजय कुमार सिंह, श्याम सनातन,राम भारद्वाज, लक्ष्मण जी नृपेन्द्रानंद, राधे श्याम चौधरी,पं रमेश मिश्र, पंडित शम्भु नाथ मिश्र, पंडित वरुण पाठक, पंडित देवेश पाठक, पंडित दिनेश पाठक, पंडित राजेश पाठक, पंडित शिव कुमार,मोनू, सुजीत कुमार,महेश सिंह, विपिन कुमार सिंह सदानंद, राजकुमार ,राजगीर तथा सैकड़ों श्रद्धालु भी उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट