सिमरिया गंगा घाम में गोविंद हरे गोपाल हरे की गूंज के साथ दूसरी परिक्रमा संपन्न

 

परिक्रमा का एक एक पग अश्वमेघ यज्ञ के बराबर,देवभूमि है सिमरिया धाम -स्वामी चिदात्मन जी महराज

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय जिले के सिमरिया गंगा घाम में कल्पवास सह अर्द्धकुंभ मेला का द्वितीय परिक्रमा बुधवार को गोविन्द हरे गोपाल हरे की गूंज के साथ संपन्न हुआ। द्वितीय परिक्रमा के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बरौनी सीओ सुजीत सुमन, चकिया ओपी प्रभारी दिवाकर कुमार सिंह , सहित दर्जनों पुलिस बल तैनात थे। वही परिक्रमा मार्ग की सफाई नप बीहट के द्वारा किया गया था।

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मौके पर  रविन्द्र ब्रह्मचारी जी, मीडिया प्रभारी नीलमणि, सर्वमंगला अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी, सचिव दिनेश प्रसाद सिंह, नवीन प्रसाद सिंह, सुशील चौधरी, प्रो पी के झा प्रेम, तरुण सिंह, नृपेन्द्र सिंह, कौशलेंद्र, अमरेन्द्र,वेद विज्ञान संस्थान के सुधीर चौधरी, प्रो पी के झा प्रेम, अरविन्द चौधरी, राम, लक्ष्मण, दिनेश पाठक, रमेश झा, राजा झा, शलैन्द्र सिंह, सदानंद झा, आचार्य नारायण झा, रमेश मिश्रा, रामशंकर झा, सरोज झा, रितेश सिंह, बब्लू सिंह, माधवानंद,गंगानन्द, अरुणानंद , सुशील झा सहित सर्वमंगला के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।

वहीं सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ काली धाम सिमरिया मंदिर से द्वितीय परिक्रमा स्वामी चिदात्मन जी महाराज के सानिध्य में निकला।इस दौरान घोड़ा ,बैण्ड बाजा, रथ, कई ध्वज के साथ हजारों महिला  पुरुष व साधु की टोली ने हाथ में तील,जौ,अक्षत छीटते हुए मेला क्षेत्र का परिक्रमा करते हुए राम घाट के रास्ते पुनः काली धाम आश्रम पहुंचा। जहां ज्ञानमंच से श्रद्धालुओं  को संबोधित करते हुए स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा अनादिकाल से सिमरिया धाम में कल्पवास मेला की परंपरा चली आ रही है। शास्त्र में बारह जगह में कुंभ का महत्व है। हमारा भारत, हमारी संस्कृति महान है। उन्होंने कहा विश्व में केवल भारत में ही कल्पवास अर्द्धकुंभ, महाकुंभ की परंपरा है।

विश्व का पहला ग्रंथ वेद है।जो इहलौकिक एवं पारलौकिक गति देता है। भारत प्रतिव्रताओं का देश है। सिमरिया धाम देवभूमि है। अर्द्धकुंभ कल्पवास शास्त्र में वर्णित है। उन्होंने कहा हमारा विश्व तृतीय विश्व युद्ध के कगार पर है। भौतिक अनुसंधान हमें उस कगार पर ले आया है। उन्होंने कहा विश्व आध्यात्मिक अनुसंधान कि सहारा नहीं लिया तो अमन चैन, शांति सब छीन जाएगा। मानव का आधात होगा।हम सब मानव है।

मानव 84 लाख योनियों में सर्वोपरि है। उन्होंने कहा द्वितीय शाही स्नान गुरुवार को हैं। जबकि तृतीय परिक्रमा 16 नवंबर एवं तृतीय शाही स्नान 23 नवंबर को होगा। उन्होंने कहा कल्पवास में स्नान करने से एक वर्ष का फल मिलता है , अर्द्धकुंभ में स्नान करने से छह वर्ष एवं महाकुंभ में स्नान करने से बारह वर्षों का फल मिलता है। उन्होंने कुंभ की जननी सिमरिया धाम है। जहां देवताओं व दानवों के बीच अमृत का वितरण किया गया था। देवताओं ने अमृत पान किए लेकिन दानव अमृत पान नहीं कर सकें।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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