सरकारी संस्थाओं में व्यापक पैमाने पर फल फुल रहा है भ्रष्टाचार, फिर भी निगरानी विभाग की की नजर से वंचित क्यों है तेघड़ा

 

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय के तेघड़ा में विभिन्न सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार व्यापक पैमाने पर चल रहा है, जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। लोगों का कहना है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिये विभिन्न जगहों में निगरानी विभाग की टीम द्वारा भ्रष्टाचारियों को रंगे हाथ पकड़ा जाता है किंतु तेघड़ा के सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अब तक निगरानी विभाग की नजर क्यों नहीं पड़ती है यह एक गंभीर सवाल है।

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तेघड़ा में अनुमंडल कार्यालय, प्रखंड कार्यालय,अंचल कार्यालय, बाल विकास परियोजना कार्यालय, शिक्षा विभाग का कार्यालय सहित कई अन्य सरकारी कार्यालय मौजूद हैं जहाँ सैकड़ों जरूरत मंद लोगों का अपना काम करवाने के लिये रोज आना जाना होता है। लोगों का कहना है कि प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना में 20 से 25 हजार रूपये लाभुकों से वसूल की जाती है वहीं शौचालय निर्माण योजना में प्रति लाभार्थी से 2 हजार रूपये की माँग की जाती है। इसी तरह चौदहवीं वित्त आयोग, पंद्रहवीं वित्त आयोग और पंचम वित्त आयोग की योजना में व्यापक पैमाने पर कमीशन खोरी का राज चलता है।

अंचल कार्यालय की तो बात ही निराली है। लोगों का आरोप है कि बिना दलालों के सहयोग से लोगों को अपनी जमीन का दाखिल खारिज करवा लेना असंभव है। इसके लिये सभी राजस्व कर्मचारी बजाप्ता अपना अपना दलाल रखे हुये हैं जिन दलालों के माध्यम से घूस का लेन देन होता है। घूस की राशि नहीं देने पर बिना उचित कारण के दाखिल खारिज आवेदन को अस्वीकृत कर दी जाती है। दाखिल खारिज, मापी वाद सहित अन्य राजस्व सम्बन्धी कार्यों के निष्पादन करवाने में लोगों को भारी भरकम रकम चुकाना पड़ता है। बाल विकास परियोजना में तो लगता है लूट की खुली छूट मिली है।

पोषक क्षेत्र के लोग बताते हैं कि कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का पोषाहार आंगनबाड़ी कर्मी हजम कर जाते हैं। मानदेय भुगतान के नाम पर सेविकाओं सहायिकाओं से प्रति माह घूस के तौर पर फिक्स राशि ली जाती है। कुल मिलाकर कहा जाय तो यह कार्यालय भ्रष्टाचार का प्रतीक बना हुआ है। शिक्षा विभाग का कार्यालय भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि वरीय अधिकारियों द्वारा इन भ्रष्टाचार के मामलों में शिकायतों की अनदेखी कर उसकी लीपापोती कर दी जाती है। कई मामलों में शिकायत कर्ताओं को ही अधिकारियों का कोपभाजन बनना पड़ता है जिसके चलते आम लोग भ्रष्टाचार एवं घूसखोरी का विरोध नहीं कर पाते हैं। हर जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऐसी स्थिति में सबकी नजरें निगरानी विभाग पर टिकी है।

बेगूसराय तेघड़ा संवाददाता शशिभूषण भारद्वाज की रिपोर्ट

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