सनातन धर्म का कोई प्रारंभ करने वाला नहीं है-डॉ बुद्धिनाथ मिश्रा
सनातन धर्म शाश्वत है।त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ के साथ अंबरमणि पत्रिका का किया गया लोकार्पण
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय-सनातन धर्म का कोई प्रारंभ करने वाला नहीं है।सनातन धर्म शाश्वत है। जिसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है। धर्म का असली स्वरूप है वो सनातन धर्म है।
उक्त बातें गुरुवार को सर्वमंगला अध्यात्म योग विधापीठ सिमरिया काली धाम परिसर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित त्रि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सनातन धर्म का वैश्विक अवदान विषय पर अपना विचार रखा डा बुद्धिनाथ मिश्रा ने। उन्होंने कहा मजहब पंत अलग चीज है। सनातन धर्म से विश्व के सभी भाषा का शब्द संबंध है।जो शाश्वत है। वहीं मुख्य अतिथि डा मनोज कुमार झा ने कहा कि धर्म का भारतीय दर्शन में विविध स्वरूप कहा गया है। धर्म का अभिप्राय है जो लोक को धारण करें।
वही डा संजय झा ने कहा कि सार्वभौमिक सर्वकालिक एवं सार्वदेशिक सनातन धर्म अपने आप में वैश्विक ही नहीं विराट ब्रह्माण्ड स्वरूप में है।जो सम्पूर्ण प्रकृति में समाहित है। सनातनी संस्कृति पर हमें गर्व है। सम्पूर्ण विश्व की संस्कृति सनातन धर्म का ऋणी है। संगोष्ठी को डा अवधेश कुमार झा, डा वीणा मिश्रा,प्रो शिवानंद शुक्ल, डा निर्मल सिंह सहित अन्य ने अपना विचार रखा। संगोष्ठी की अध्यक्षता डा धनश्याम झा ने किया।आगत अतिथियों का स्वागत भाषण उषा रानी ने की। आगत अतिथियों को अंग वस्त्र पाग एवं माला पहनाकर स्वामी चिदात्मन जी महाराज, रविन्द्र ब्रह्मचारी जी ने स्वागत किया। साथ ही स्वामी चिदात्मन जी महाराज सहित आगत अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया। आगत अतिथियों द्वारा अंबरमणि पत्रिका का लोकार्पण किया गया।
मौके पर उषा रानी, अजय सिंह, राजकिशोर सिंह,आचार्य नारायण झा, डा विजय कुमार झा, प्रो पी के झा प्रेम,प्रो अवधेश कुमार झा, दिनेश कुमार झा, सदानंद, रमेश झा, सुरेश पासवान, रमेश झा, नवीन कुमार सिंह, नृपेन्द्र सिंह सहित अन्य मौजूद थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट