बेगूसराय के मंसूरचक में 1981 से होता है रावण दहन

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मंसूरचक में 1981 से किया जा रहा है रावण दहन। पहली बार प्रेमचंद प्रजापति ने सूप से बनाया था रावण

डीएनबी भारत डेस्क 

मंसूरचक में रावण दहन का आयोजन खादी ग्रामोद्योग मंसूरचक मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षक प्रेमचंद प्रजापति ने सर्व प्रथम सूप और सूपती से रावण बना कर किया था जिसके बाद से मंसूरचक के लोगों ने दुर्गा पूजा के दशवीं के दिन रावण दहन लगातार करते आ रहे हैं। बुराई पर अच्छाई की जीत यानि रावण दहन। काली पूजा समिति और प्रकाश नाट्यकला परिषद महेंद्रगंज, वीरगंज की ओर से लगातार 41 वर्षों से आयोजित किया जा रहा रावण दहन का इस बार 42 वां वर्ष पूरा होगा।

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रावण दहन धार्मिक आस्था का प्रतीक है और कोविड काल के 2 वर्षों के बाद इस बार बड़े पैमाने पर दशहरा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस बार 40 से 50 हजार से अधिक लोगों की भीड़ रावण दहन कार्यक्रम में उमड़ने की संभावना जतायी जा रही है। 5 अक्टूबर काे रावण दहन किया जायेगा व पटाखे जलाये जाने के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

संस्था द्वारा हर नियमों का सख्ती से होगा पालन
रावण दहन कार्यक्रम के अध्यक्ष रामप्रकाश साह ने बताया कि इस बार रावण दहन पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। कार्यक्रम में आये मेहमानों केे लिए उचित व्यवस्था की जायेगी। इस बार 42 वां वर्ष पूरा होगा, ऐसे में निश्चित तौर पर भव्य आयोजन किया जायेगा। वहीं कोविड की स्थिति सामान्य रहने के कारण इस बार पहले की तरह ही कार्यक्रम होगा। इस आयोजन में सुनील कुमार साह, श्रीकृष्ण साह, मेला संचालन कमल किशोर चौधरी गंगा, शंभू पंडित, सुनील कुमार गोरेलाल व उनकी टीम की महत्वपूर्ण भूमिका है।

इस रावण दहन कार्यक्रम के द्वारा यह संदेश दिया जाता है कि बुराई चाहे कितनी ही बड़ी और भव्य आकार की क्यों ना हो, एक दिन उसका दहन निश्चित है। कार्यक्रम में प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर गण्यमान्य अतिथियों की मौजूदगी रहेगी।

 

मंसूरचक, बेगूसराय से आशीष भूषण

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