राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति, सिमरिया के तत्त्वावधान में 115वीं दिनकर जयंती के अवसर पर आयोजित दस दिवसीय समारोह के चौथे दिन सोमवार को प्रोग्रेसिव सेंट्रल स्कूल, सिमरिया में कार्यक्रम हुआ।
डीएनबी भारत डेस्क
राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति, सिमरिया के तत्त्वावधान में 115वीं दिनकर जयंती के अवसर पर आयोजित दस दिवसीय समारोह के चौथे दिन सोमवार को प्रोग्रेसिव सेंट्रल स्कूल, सिमरिया में कार्यक्रम हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए साहित्यकार आनंद शंकर ने कहा कि शोषक और शोषित के बीच लड़ाई में दिनकर शोषितों के साथ हैं। संस्कृति के उत्थान और अवसान के बीच जो कविता करता है, वही दिनकर बनता है।
जब जनता विध्वंसकारी ताकत के साथ जाती है, विघटनकारी ताकत बन जाती है, तो उसे युग–धर्म ललकारता है, फिर दिनकर पैदा होते हैं। साहित्यकार ललन लालित्य ने कहा कि सत्ता के साथ रहते हुए भी दिनकर ने अपनी रचनाओं में सत्ता को ललकारा है। आज हम दिनकर को इसलिए याद करते हैं कि वे बने हुए लीक पर नहीं चलकर अपने लिए नया लीक बनाया।
बरौनी प्रखंड उपप्रमुख रूपम देवी ने कहा कि दिनकर भेदभाव मिटाने की बात करते थे। उनकी कविता हमें अन्याय और अत्याचार से लड़ने की प्रेरणा देती है। समारोह को समिति के अध्यक्ष कृष्णकुमार शर्मा, युवा नेता शंभू देवा, राजेंद्र राय नेताजी, साहित्यकार बबलू दिव्यांशु, संजीव फिरोज आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर युवा कवि सत्यजीत सोनू, विनोद बिहारी, राजीव रंजन और पारस कुमार ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
कार्यक्रम की शुरुआत आगत अतिथियों ने दिनकर के तैलचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर किया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र देकर प्रवीण प्रियदर्शी, बद्री प्रसाद राय और शिक्षिका संजू कुमारी ने किया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में वंदना, रविराज, अर्चना, अनन्या, भाव्या, रिशु, निधि, रिया, पलक आदि ने दिनकर की विभिन्न कविताओं का पाठ किया। समारोह की अध्यक्षता विश्वंभर सिंह और संचालन लक्ष्मणदेव कुमार ने किया।
अतिथियों का स्वागत ए के मनीष और धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक जितेंद्र झा ने किया। मौके पर ललन कुमार सिंह, रामनाथ सिंह, अनिल शर्मा, गुलशन कुमार, मनीष कुमार, मंजेश कुमार, श्रीकांत पोद्दार, निगम कुमारी, संजीव कुमार, राजेश मिश्रा, कन्हैया झा सहित विद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
वहीं समारोह के तीसरे दिन रविवार को रामकृष्ण इंग्लिश स्कूल, सिमरिया में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता दिनकर पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष बद्री प्रसाद राय और संचालन शिक्षक जितेंद्र झा ने किया।
अपना विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता जलेस के राज्य सचिव कुमार विनिताभ ने कहा कि दिनकर गांधीवाद और मार्क्सवाद के बीच की कड़ी थे। गांधी को अपना आदर्श मानते हुए भी दिनकर क्रांतिकारियों को दिल से प्यार करते थे। यह बात उनकी रचनाओं में हर जगह दिखाई देती है। दिनकर की कविता जनतंत्र का जन्म में भारतीय संविधान की आत्मा बसती है। दिनकर ने किसानों और मजदूरों को धरती का देवता कहा।
शिक्षक विपिन कुमार ने कहा कि दिनकर मानवता के कवि थे। वह हमेशा मेहनत करने की प्रेरणा देते हैं। अन्याय का प्रतिकार करने के लिए दिनकर ने कलम उठाया। समारोह को संबोधित करते हुए विजय कुमार चौधरी, राजेश कुमार सिंह, प्रवीण प्रियदर्शी, लक्ष्मण देव कुमार आदि ने अपना विचार व्यक्त किया। आगत अतिथियों के स्वागत में नव्या, काजल, अनु, श्रुति और सुप्रिया ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान अंगवस्त्र देकर विद्यालय के प्राचार्य घनश्याम झा और शिक्षक श्यामनंदन निशाकर ने किया।
वहीं कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अखिल राज शांभवी, आदित्य राज, अनन्या, कमल राज, आराध्या, आर्यन, शिवानी, निशि रानी, रतन प्रिया, अंकिता आदि ने दिनकर की विभिन्न कविताओं का पाठ किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के निदेशक दीनबंधु कुमार ने किया। मौके पर समिति के सचिव प्रदीप कुमार, मोहन ठाकुर, निहारिका देवी, विभा देवी, राजेश कुमार, काजल कुमारी, ज्योति कुमारी, नूतन देवी सहित विद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।